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आय 250, खर्च 25 हजार

पटना: आर ब्लॉक-दीघा घाट रेलखंड ‘सफेद हाथी’ बन कर रह गया है. इस पर ट्रेन चलाने के लिए रेलवे सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च करता है, मगर आमदनी लाख रुपये भी नहीं होती. ऊपर से दिन में चार बार पीकआवर में बेली रोड क्रॉसिंग बंद होने की परेशानी अलग. आठ साल के दौरान […]

पटना: आर ब्लॉक-दीघा घाट रेलखंड ‘सफेद हाथी’ बन कर रह गया है. इस पर ट्रेन चलाने के लिए रेलवे सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च करता है, मगर आमदनी लाख रुपये भी नहीं होती. ऊपर से दिन में चार बार पीकआवर में बेली रोड क्रॉसिंग बंद होने की परेशानी अलग. आठ साल के दौरान इस रेलखंड की जमीन राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का मसला कई बार उठा, लेकिन ठंडे बस्ते में चला गया.

सात हॉल्ट, पर सब बंद
आर ब्लॉक से दीघा घाट तक सात हॉल्ट हैं. लेकिन, अधिकतर हॉल्टों पर टिकट काउंटर बंद हैं. सिर्फ आर ब्लॉक का टिकट काउंटर सुबह में खुलता है. उसके बाद दिन भर ताला लटका रहता है. इस रेलखंड पर सुबह में पटना हाट-दीघा घाट डेमू ट्रेन चलती है, जबकि शाम को आर ब्लॉक से दीघा घाट तक दूसरी ट्रेन जाती है. दोनों ट्रेन पहुंच कर तत्काल वापस भी लौट आती हैं. इनमें यात्रियों की संख्या न के बराबर होती है. चेकिंग का खौफ नहीं होने से अधिकतर यात्री बेटिकट होते हैं.

99 लाख का नुकसान
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इस खंड पर औसतन हर दिन टिकट बिक्री से 250 रुपये की आय होती है, जबकि खर्च इसका सौ गुणा है. डीजल, बोगी मेंटेनेंस, टिकट काउंटर व क्रॉसिंग मेंटेनेंस स्टाफ को मिला कर हर दिन 25 से 30 हजार रुपये का खर्च बैठता है. इस लिहाज से रेलवे को सालाना 99 लाख रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन, इसकी चिंता किसी को नहीं है. करीब डेढ़ सौ साल पहले अंगरेजों ने एफसीआइ गोदाम तक अनाज पहुंचाने के उद्देश्य से इस रेलवे ट्रैक का निर्माण कराया था. शहर के बीचों-बीच बने इस रेलखंड की खस्ता हालत को देखते हुए वर्ष 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने यहां सवारी गाड़ी की शुरुआत करायी. मगर, उसके बाद से रेलखंड का विकास नहीं हुआ. आर ब्लॉक से दीघा घाट तक लाइन के दोनों तरफ सट कर सैकड़ों झोंपड़ियां बनी हैं. दीघा घाट पर तो स्टेशन का बोर्ड तक नहीं है. सुविधाएं नहीं होने से सामान्य यात्री इस रेल सेवा का उपयोग नहीं करना चाहते. सिर्फ रस्म अदायगी के लिए ट्रेनें चलायी जा रही हैं.

रेलवे की जमीन खाली
पटना हाट में भी रेलवे की कई एकड़ जमीन खाली पड़ी है. इस पर स्थानीय लोगों का कब्जा है. रेलवे की खाली जमीन पर रेलकर्मियों के लिए क्वार्टर बनाने का प्रस्ताव है. फिलहाल, पटना घाट से पटना साहिब खंड पर चलनेवाली ट्रेन का फायदा कुछ लोग ही उठा पाते हैं. अगर वर्तमान ट्रैक पर सड़क बने, तो पटना साहिब से मालसलामी, दीदारगंज व मंडी के लिए सीधी सड़क मिल जायेगी. यह मुहल्ले जाम की समस्या से जूझते रहते हैं.

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