नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था की तीखी आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पूर्व की उस व्यवस्था में योग्यता के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से कई पात्रता नहीं रखनेवाले व्यक्ति न्यायाधीश बन गये और इनमे से कुछ के नाम उसने शीर्ष अदालत को दिये हैं.न्यायमूर्ति जेएस खेहड की अध्यक्षतावाले पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सात से आठ ऐसे न्यायाधीशों के नाम दिये, जिन्हें गुप्तचर ब्यूरो की प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद भी नियुक्त किया गया था. संविधान पीठ ने मंगलवार को अटार्नी जनरल से कहा था कि कॉलेजियम व्यवस्था के तहत की गयी ‘गलत नियुक्तियों’ की सूची सौंपे.संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं.रोहतगी ने दावा किया कि जब कॉलेजियम ने ऐसे नामों पर जोर दिया, तो केंद्र इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य थी.अटार्नी जनरल ने कहा कि कॉलेजियम व्यवस्था ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में पात्रता के सिद्धांत का पालन नहीं किया और इस तरह कई पात्रता नहीं रखनेवाले व्यक्तिों की भी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हो गयी.संविधान पीठ इस समय राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.रोहतगी ने इस कानूनी की हिमायत करते हुए इसके पक्ष में दलीलें दीं.
कॉलेजियम व्यवस्था के चलते कई अपात्र बने जज : केंद्र
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था की तीखी आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पूर्व की उस व्यवस्था में योग्यता के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से कई पात्रता नहीं रखनेवाले व्यक्ति न्यायाधीश बन गये और इनमे से कुछ के नाम उसने […]
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