पटना: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के सचिव एसएम राजू ने प्रभात खबर में पांच सितंबर को पृष्ठ दो पर ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का कड़ा रूख, के सेंथिल के बाद एस एमएस राजू पर कार्रवाई तय’ शीर्षक से प्रकाशित खबर अपना पक्ष भेजा है.
उनका कहना है कि 1986 में यह योजना तत्कालीन उपविकास आयुक्त अमिताभ वर्मा द्वारा सेल्फ फाइनेंसिंग के माध्यम से जिला परिषद की आय में वृद्धि करने के लिए लिया गया था. जब उन्होंने डीडीसी के रुप में गया में योगदान दिया, तो उन्होंने आयुक्त के आदेश का पालन करते हुए अधूरे भवन का निर्माण कराया. तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा दिये गये निर्देश को 10 वर्षो से उपविकास आयुक्तों द्वारा अवहेलना की जा रही थी.
इस पर आठ लाख रुपया खर्च हो चुका था, जो बेकार हो गया था. भवन निर्माण के बाद जो राशि इस पर खर्च हुई थी उसकी भरपाई हुई एवं जिला परिषद को किराया के रुप में आमदनी होने लगी. इस योजना को पूर्ण करने के उद्देश्य से योजना को तोड़-तोड़ कर प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी. कराये गये कार्य की जांच निगरानी से कराया गया था.
कराये गये कार्य के बारे में तथा गुणवत्ता के बारे में प्रशंसा की गयी है. इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गयी है. उन्होंने भ्रष्टाचार के साथ अपना नाम जोड़े जाने पर आपत्ति जाहिर की है. निगरानी विभाग ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि वित्तीय अनियमितता को कोई प्रमाण नहीं मिला है. कार्य की गुणवत्ता प्रशंसनीय है. सिर्फ प्रक्रियात्मक दोष है.