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लारी के ऐतिहासिक तालाब के अस्तित्व पर संकट

टिकारी महारानी ने करायी थी इसकी खुदाई41 एकड़ में फैला है यह तालाबनिविदा की तिथि के सात माह बीत जाने के बाद भी नहीं हुई उड़ाहीजल भंडारण की अधिक क्षमता होने के कारण भूगर्भ जल स्तर बनाये रखने में भी है कारगरकुर्था (अरवल). विशालतम तालाबों में शुमार रखनेवाला प्रखंड क्षेत्र के लारी गांव स्थित तालाब […]

टिकारी महारानी ने करायी थी इसकी खुदाई41 एकड़ में फैला है यह तालाबनिविदा की तिथि के सात माह बीत जाने के बाद भी नहीं हुई उड़ाहीजल भंडारण की अधिक क्षमता होने के कारण भूगर्भ जल स्तर बनाये रखने में भी है कारगरकुर्था (अरवल). विशालतम तालाबों में शुमार रखनेवाला प्रखंड क्षेत्र के लारी गांव स्थित तालाब का वजूद मिटता जा रहा है. करीब 40 एकड़ में फैला यह तालाब जल संवर्धन व संरक्षण का उपयुक्त माध्यम है, लेकिन उड़ाही के अभाव में इसकी गहराई कम होती जा रही है. 19वीं सदी में इस तालाब की खुदाई टिकारी राज की महारानी द्वारा करायी गयी थी. इस संबंध में स्थानीय मुखिया जितेंद्र शर्मा ने बताया कि वैराग्य लेने के बाद पटियाला नरेश जब लंगटा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए, तो टिकारी महारानी ने उनसे प्रेरणा लेकर इस तालाब की खुदाई करायी थी, जिसकी पहचान धीरे-धीरे पर्यटन स्थल के रूप में होने लगी. जल भंडारण की अधिक क्षमता होने के कारण भूगर्भ जल स्तर बनाये रखने में भी यह कारगर साबित हो रही थी, परंतु वर्तमान समय में उपेक्षा के कारण यह अपना वजूद खोता जा रहा है. वहीं, ग्रामीण सह अहमदपुर हरण पंचायत के मुखिया डॉ जितेंद्र शर्मा ने बताया कि उक्त तालाब की उड़ाही के लिए 15 नवंबर, 2014 को निविदा निकाली गयी थी. ठेकेदारों ने टेंडर भी भरा, मगर सात माह गुजर जाने के बाद भी एग्रीमेंट नहीं किया गया, जिसके कारण आज तक इस तालाब की उड़ाही नहीं हो सकी. अब तो मॉनसून आने में कुछ ही दिन शेष बचे हैं, ऐसे में बारिश शुरू हो जाने पर इसकी उड़ाही संभव ही नहीं है.

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