त्र विस्फोटक पदार्थ मिलते की करना है डिफ्यूजत्र मालखाने का नहीं होता ऑडिटगोपालगंज. थानों में बनाये गये मालखाने में करोड़ों का सामान पिछले कई दशक से सड़ रहा है. मालखाने में तरह-तरह के खतरनाक सामान भी रखे जाते हैं, जिसे न्यायालय को सुपुर्द करना पड़ता है. थानों में मालखाने की जिम्मेवारी संबंधित थानेदारों की रहती है. पुलिस का कहना है कि थानों के मालखाने का ऑडिट नहीं किया जाता है, बल्कि रजिस्टर बनाया जाता है तथा इसकी जांच वरीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर की जाती है. रजिस्टर को न्यायालय को सुपुर्द कर दिया जाता है. यदि विस्फोटक सामग्री की बरामदगी होती है, तो सबसे पहले उसे डिफ्यूज किया जाता है. डिफ्यूज विस्फोटक सामग्री की जानकारी कोर्ट को देकर उसे सुरक्षित स्थानों पर रखा जाता है. बड़ी विस्फोटक सामग्री मिलने पर इसकी तत्काल स्पेशल ब्रांच के माध्यम से जांच की जाती है. गोपालगंज में विस्फोटक पदार्थ किसी भी मालखाने में नहीं होने का दावा पुलिस अधिकारियों ने किया है. क्या कहते हैं अधिकारीविस्फोटक सामग्री बरामद होते ही पहले पानी में डाल दिया जाता है. उसके बाद कोर्ट से आदेश लेकर उसे डिफ्यूज करने के बाद ही मालखाने में रखा जाता है. मालखाने का ऑडिट नहीं किया जाता है. यह न्यायालय के अधिकार की संपत्ति है. इसका रजिस्टर तैयार कर न्यायालय को सुपुर्द कर दिया जाता है. अनिल कुमार सिंह, एसपी
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डिफ्यूज के बाद मालखाने में रखा जाता विस्फोटक पदार्थ
त्र विस्फोटक पदार्थ मिलते की करना है डिफ्यूजत्र मालखाने का नहीं होता ऑडिटगोपालगंज. थानों में बनाये गये मालखाने में करोड़ों का सामान पिछले कई दशक से सड़ रहा है. मालखाने में तरह-तरह के खतरनाक सामान भी रखे जाते हैं, जिसे न्यायालय को सुपुर्द करना पड़ता है. थानों में मालखाने की जिम्मेवारी संबंधित थानेदारों की रहती […]
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