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फर्जी प्राचार्य नियुक्ति घोटाला : एमयू के पूर्व वीसी व प्राचार्य गिरफ्तार, निगरानी का छापा

23 आरोपित अब भी पकड़ से बाहर, खोज जारी पटना : निगरानी विभाग ने मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में 2012 में हुए 12 फर्जी प्राचार्य नियुक्ति घोटाला मामले के मुख्य अभियुक्त व किंगपिन पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही पूरे प्रकरण के पांच मास्टरमाइंड में शामिल प्रो. प्रवीण कुमार भी […]

23 आरोपित अब भी पकड़ से बाहर, खोज जारी
पटना : निगरानी विभाग ने मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में 2012 में हुए 12 फर्जी प्राचार्य नियुक्ति घोटाला मामले के मुख्य अभियुक्त व किंगपिन पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही पूरे प्रकरण के पांच मास्टरमाइंड में शामिल प्रो. प्रवीण कुमार भी निगरानी के हत्थे चढ़ गया. फर्जी तरीके से प्राचार्य बने प्रो. कुमार वर्तमान में बख्तियारपुर के आरएलएस कॉलेज में तैनात थे. निगरानी ने शुक्रवार की अहले सुबह दोनों को पटना स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया.
इसके अलावा पटना और गया में कई स्थानों पर निगरानी की टीम ने छापेमारी की, लेकिन अन्य 23 अभियुक्तों में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. गिरफ्तार अभियुक्तों को निगरानी की विशेष अदालत में दोपहर में पेश किया गया, जहां से अदालत ने उन्हें 19 जून तक के लिए जेल भेज दिया .निगरानी की इस टीम का नेतृत्व एएसपी सुशील कुमार कर रहे थे.
दोनों की गिरफ्तारी के बाद निगरानी की टीम ने इस पूरे प्रकरण के तीन अन्य मुख्य मास्टर माइंड को पकड़ने के लिए जोरदार सर्च शुरू कर दिया है. इसमें मगध विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डीके यादव, मीटिंग ऑफिसर शमसुल इस्लाम और बाढ़ के ए एन एस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एस पी शाही शामिल हैं. जानकारी के अनुसार, प्रो. शाही ने अपने सीनियरों की गिरफ्तारी की सूचना पाकर सीवान जिले के मैरवा एक शादी को अटेंड करने भाग गये हैं. साथ ही वे गिरफ्तारी के डर से किसी दूसरी जगह भागने की फिराक में हैं. जबकि डीके यादव आगरा की तरफ भाग गये हैं. अब निगरानी इन अभियुक्तों को दूसरे स्थानों से गिरफ्तार करके लाने की जुगत में लग गयी है.
निगरानी के छापे से एमयू में हड़कंप
बोधगया.मगध विश्वविद्यालय (एमयू) के पूर्व कुलपति डॉ अरुण कुमार व आरएलएसवाइ कॉलेज, बख्तियारपुर के प्राचार्य प्रवीण कुमार की गिरफ्तारी के बाद निगरानी की टीम अन्य आरोपितों की तलाश में जुट गयी है.
इसी क्रम में शुक्रवार की दोपहर निगरानी की दो टीमें मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ डीके यादव व गया कॉलेज के प्राचार्य सह एमयू के पीआरओ डॉ एमएस इसलाम के साथ ही एमयू के उप कुलसचिव मो फहीमुद्दीन की टोह में उनके आवासों पर छापेमारी की. हालांकि, इसमें निगरानी की टीम को कोई सफलता नहीं मिली. निगरानी की टीम के आगमन को लेकर शुक्रवार को एमयू मुख्यालय में कार्यरत अन्य आरोपितों ने भी अपनी मौजूदगी मुनासिब नहीं समझी और वे कहीं दिखे नहीं.
गिरफ्तारी के दौरान ऐसे चला ड्रामा..
5:30 बजे सुबह : निगरानी की टीम पूर्व वीसी के नेहरू नगर के आवास पर पहुंची
– दरवाजा खोलने वाले ने कहा : बैठिए साहब को बुलाते हैं.
– 10 मिनट के बाद साहब आये व इधर- उधर की बात करने लगे
– फिर बाहर जाने के बजाय घर में रह रहे किरायेदारों की तरफ जाने लगे
– निगरानी की टीम के सामने इस बार कोई चालाकी नहीं चली
– निगरानी की टीम ने सीधे अरेस्ट करके गाड़ी में बैठा लिया.
30 मई को ऐसे दिया था चकमा
– 30 मई को पूर्व वीसी अरुण कुमार आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (एकेयू) में वीसी के पद पर चल रहे इंटरव्यू में शामिल होने आये थे.
– निगरानी की टीम उन पर दिन भर कड़ी नजर रख रही थी
– पूर्व वीसी ने निगरानी को चकमा देकर सुबह 10 के स्थान पर 9 बजे ही इंटरव्यू देने एकेयू पहुंच गये.
– रास्ते में गाड़ी बदल कर दूसरी कार से रास्ता बदल कर भाग निकले.

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