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लोकतंत्र में जनता सबसे बड़ी ताकत : मोदी

पुस्तक विमोचन के दौरान नेताओं ने किया जेपी आंदोलन को याद, जेपी के विचारों पर चलने की बात कही सत्यनारायण दूसरे की पुस्तक कैमरे में संपूर्ण क्रांति 1974 का हुआ विमोचन पूर्व उपमुख्यमंत्री ने जेपी सम्मान पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग जेपी कभी आप्रासांगिक नहीं हो सकते पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के […]

पुस्तक विमोचन के दौरान नेताओं ने किया जेपी आंदोलन को याद, जेपी के विचारों पर चलने की बात कही
सत्यनारायण दूसरे की पुस्तक कैमरे में संपूर्ण क्रांति 1974 का हुआ विमोचन
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने जेपी सम्मान पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग
जेपी कभी आप्रासांगिक नहीं हो सकते
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि लोकतंत्र में जनता सबसे बड़ी ताकत होती है. लोकतंत्र में कोई किला अभेद्य नहीं है. लोकनायक ने छात्र आंदोलन को जनांदोलन बनाया. मोदी शुक्रवार को जेपी छायाचित्र प्रकाशन समिति की ओर से रवींद्र भवन में सत्यनारायण दूसरे की पुस्तक कैमरे में संपूर्ण क्रांति 1974 के विमोचन समारोह में बोल रहे थे.
पुस्तक में दूसरे द्वारा आंदोलन के समय ली गयी तसवीरों का संग्रह है. मोदी ने 1974 के आंदोलन के संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि जेपी ने यह सिद्ध कर दिया कि शांतिपूर्ण तरीके से भी बदलाव संभव है. जेपी के आंदोलन ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र में अगर जनता चाह ले तो कोई किला अभेद्य नहीं है. आंदोलन में समाज का हर तबका शामिल था. जेपी सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन के हिमायती थे. लोकतांत्रिक व्यवस्था से बड़ा कुछ नहीं है. जेपी के आंदोलन ने राजनैतिक छुआछूत को समाप्त किया. जेपी के आंदोलन का विरोध करने के वजह से से वाम आंदोलन कमजोर पड़ा.
जेपी आंदोलन की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है. उन्होंने मंच से मांग की कि सरकार जेपी सम्मान पेंशन योजना की राशि दो गुनी करे. इसके पूर्व सभी अतिथियों ने पुस्तक का लोकार्पण किया. सांसद अश्विनी चौबे ने कहा कि 1974 का आंदोलन सही मायने में जनांदोलन था. जेपी एक व्यक्ति नहीं बल्कि विचार व मिसाल है. वे कभी आप्रांगिक नहीं हो सकते. आज यह समीक्षा करने का समय है कि हम जेपी को कितना और किस मायने में याद रख रख रहे हैं. जेपी आंदोलन के नाम पर राजनैतिक ठेकेदारी बंद होनी चाहिए. उन्होंने आंदोलन के साथियों से भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया.
उन्होंने जेपी सेनानियों के लिए रोजगार की व्यवस्था करने तथा छूटे लोगों को भी इसमें शामिल करने की मांग की. जेपी सेनानी भवेश चंद्र के संबोधन में उनकी पीड़ा दिखी. उन्होंने कहा कि 74 आंदोलन के साथी आज अलग गये हैं. आपस में ही लड़ रहे हैं. लेकिन वह दिन दूर नहीं है, एक बार फिर क्रांति की मशाल जलेगी और परिवर्तन होगा.
सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि जेपी जैसे लोग विरले पैदा होते हैं. उन्होंने राजनीति ही नहीं देश को भी एक नयी दिशा दी. यह पुस्तक आंदोलन को दृष्टिगोचर करनेवाली है. स्वागत भाषण मेन रघुपति ने विस्तार से कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी. जेपी सेनानी सलाहकार समिति के संयोजक मिथिलेश ने जेपी की जन्मस्थली की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी और इसे बचाने के लिए पीएम से हस्तक्षेप का आग्रह किया.
कार्यक्रम में विधान पार्षद रामवचन राय, अख्तर हुसैन, भाई वीरेन्द्र सहित बड़ी संख्या में 74 आंदोलन से जुड़े लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम के बीच- बीच में दर्शक दीर्घा में बैठे 74 आंदोलन से जुड़े कई लोग अपनी उपेक्षा की आवाज उठाते रहे. उनलोगों का कहना था कि जिनको कुछ मिल गया वे तो खुश हो गए लेकिन अन्य साथियों का ख्याल नहीं रखा गया.
जेपी आंदोलन की बनायी जाये डायरेक्टरी : सिद्दीकी
राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इस बात क्षोभ जताया कि जेपी के भाषणों, जेपी आंदोलन के समय जेल गये लोगों का कोई रिकार्ड नहीं है. आज हम जेपी की बातों को सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने जेपी सेनानियों की एक डायरेक्टरी बनाने के सलाह दी कि ताकि लोग एक दूसरे के बारे में जान सके.
आज के नेताओं में इगो अधिक : शिवानंद
पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि आज के नेताओं में इगो अधिक हो गया है. खुद जेपी भी इस पीड़ा के शिकार हुए थे. केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए कहा था कि मुङो पूछता कौन है. आज आम आदमी बेबस है. लोकतंत्र का जिंदा रहना आवश्यक है.

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