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जीएसटी से बिहार को तीन हजार करोड़ का नुकसान
संशोधन के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री को राज्य सरकार ने लिखा पत्र वर्तमान स्वरूप में बदलाव करने की मांग, इससे केंद्र के टैक्स संग्रह में होगा 30 हजार करोड़ का इजाफा वर्ष 2016 से पूरे देश में लागू होने जा रही है जीएसटी नामक नयी कर प्रणाली कौशिक रंजन पटना : केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था […]
संशोधन के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री को राज्य सरकार ने लिखा पत्र
वर्तमान स्वरूप में बदलाव करने की मांग, इससे केंद्र के टैक्स संग्रह में होगा 30 हजार करोड़ का इजाफा
वर्ष 2016 से पूरे देश में लागू होने जा रही है जीएसटी नामक नयी कर प्रणाली
कौशिक रंजन
पटना : केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से मुकाबला करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने के लिए नयी टैक्स प्रणाली जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लाने जा रही है.इसकी तकरीबन सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है और वर्ष 2016 अप्रैल से यह पूरे देश में लागू होने जा रही है.
इस नयी टैक्स व्यवस्था में एक प्रावधान ऐसा किया गया है, जिससे बिहार जैसे पिछड़े राज्य को सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपये का सीधे तौर पर नुकसान होगा. केंद्रीय पुल से राज्य को मिलने वाले टैक्स की हिस्सेदारी में 2016 के बाद सीधे तौर पर यह नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके मद्देनजर राज्य के वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है.
पत्र में इस प्रावधान को संशोधित करने का प्रस्ताव दिया गया है. इस पत्र में बिहार को होनेवाले नुकसान और केंद्र को सालाना टैक्स संग्रहण में 30 हजार करोड़ की कमी होने की बात कही गयी है. जीएसटी के वर्तमान प्रावधान में अगर संशोधन नहीं किया गया, तो बिहार को प्रत्येक साल इससे मिलने वाले टैक्स शेयर में तीन हजार करोड़ का नुकसान होगा. साथ ही केंद्र के डिविसिव पुल (जीएसटी से होने वाले कुल टैक्स संग्रह का आकार, जिससे सभी राज्यों को हिस्सेदारी मिलेगी) में 30 हजार करोड़ की कमी आयेगी, जिसका सीधा प्रभाव बिहार जैसे पिछड़े राज्यों पर पड़ेगा.
हालांकि बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को टैक्स की आय से होनेवाले नुकसान की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ने क्षतिपूर्ति पैकेज देने की घोषणा कर रखी है. परंतु यह नाकाफी साबित होगा. इसका प्रमुख कारण जीएसटी के तहत इस प्रावधान से केंद्र को सालाना करीब 30 हजार करोड़ का टैक्स कम संग्रह होगा.
जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र को पांच लाख करोड़ टैक्स संग्रह होने का अनुमान है. इस डिविसिव पूल से ही सभी राज्यों को टैक्स में हिस्सेदारी मिलनी है. बिहार को करीब 9-10 फीसदी की हिस्सेदारी मिलेगी, जो 2015 में मिलने वाले टैक्स शेयर 57 हजार करोड़ से भी कम होगा. इसमें करीब 3 हजार करोड़ की सीधे कमी आयेगी. यह नुकसान राज्य को उठाना पड़ेगा.
अगर उत्पादक राज्य को 1 प्रतिशत टैक्स देने के प्रावधान को हटा दिया जाये, तो केंद्र का टैक्स संग्रहण बढ़ कर 5 लाख 30 हजार करोड़ हो जायेगा. इस तरह केंद्रीय टैक्स पुल का आकार बढ़ेगा और इससे बिहार को मिलनेवाली हिस्सेदारी भी बढ़ेगी. सालाना 3 हजार करोड़ का वाजिब हक राज्य को मिल सकेगा. जीएसटी से होनेवाली कमी की भरपाई हो पायेगी. चूंकि बिहार उत्पादक राज्य है.
जीएसटी के प्रावधान से इस तरह होगा नुकसान
जीएसटी को पूरी तरह से लागू करने के लिए संविधान का 122वां संशोधन करके अनुच्छेद 18 में बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत जो उत्पादक राज्य होगा या जिस राज्य में मौजूद कोई फैक्टरी किसी तरह के प्रोडक्ट या उत्पाद का उत्पादन करेगी, वह एक प्रतिशत का अतिरिक्त टैक्स वसूलेगी. यह टैक्स पूरी तरह से खपत आधारित होगा. इस तरह जिस राज्य में फैक्टरी अधिक होगी या कहे जो उत्पादक राज्य होंगे, उन्हें सामान पर एक प्रतिशत का अतिरिक्त मुनाफा होगा.
इससे बिहार जैसे पिछड़े राज्यों, जहां फैक्टरी की संख्या नहीं के बराबर है और जो उत्पादक राज्यों की श्रेणी में नहीं आता है, उसे नुकसान उठाना पड़ेगा. उत्पादक राज्यों को केंद्र से मिलने वाले टैक्स शेयर के अलावा टैक्स में यह अतिरिक्त लाभ होगा.
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