रामकथा के सातवें दिन सीता-राम विवाह के लिए हुए धनुष यज्ञ की हुई चर्चा संवाददाता, बछवाड़ा (बेगूसराय) राग-द्वेष से जो ऊपर उठता है, उसे ही समाज में प्रतिष्ठा मिलती है. साधु स्वभाव वाले व्यक्ति को परमात्मा किसी न किसी रूप में जरूर दर्शन देते हैं. ऐसे तो भगवान कण-कण में हैं और लोगों को विभिन्न रूपों में दिखते हैं. लोगों के विचार भिन्न-भिन्न होते हैं, इसलिए राम भी भिन्न-भिन्न तरह से लोगों को दर्शन देते हैं. उक्त बातें मिथिला धाम, बछवाड़ा में रामकथा के सातवें दिन संत मोरारी बापू ने कहीं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को राम शृंगार रूप में दर्शन दे रहे हैं. मोरारी बापू ने कथा के दौरान भक्तिरस की धारा प्रवाहित की और कहा कि किसी संत को दुख देना अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि परमात्मा एक दर्शक हैं. हर व्यक्ति को व्यवस्था के अनुकूल विवेक से काम लेना चाहिए. बापू ने कहा कि मिथिला धाम राम कथा से श्रोतागण सीख लेकर जायेंगे और गांव-गांव में प्रेम की धारा बहायेंगे तथा मिल-जुल कर रहेंगे. इस मौके पर उन्होंने धनुष यज्ञ की चर्चा करते हुए कहा कि धनुष यज्ञ रंगभूमि है. सीता-राम का पहल मिलन जनक के मिलने के बाद हुआ था. धनुष यज्ञ गौरी की कृपा से संपन्न होता है, तो प्रणय यज्ञ महादेव की कृपा से संपन्न होता है. कथा के बीच में भजन ‘मधुर-मधुर नाम, सीताराम-सीताराम’ से पूरा पंडाल भक्तिभाव में डूब गये. मिथिला धाम का यह इलाका पिछले सात दिनों से भगवान की भक्ति में लीन है. कथा स्थल पर भक्तों की भक्ति देखते ही बन रही है. महिला, पुरुष के अलावा छोटे-छोटे बच्चे भी बापू कीराम कथा में लीन हैं. जब तक बापू की कथा समाप्त नहीं हो जाती है, तब तक भक्त पंडाल में ही मंत्रमुग्ध होते रहते हैं.
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राग-द्वेष से ऊपर उठें, तभी मिलेगी प्रतिष्ठा : मोरारी बापू
रामकथा के सातवें दिन सीता-राम विवाह के लिए हुए धनुष यज्ञ की हुई चर्चा संवाददाता, बछवाड़ा (बेगूसराय) राग-द्वेष से जो ऊपर उठता है, उसे ही समाज में प्रतिष्ठा मिलती है. साधु स्वभाव वाले व्यक्ति को परमात्मा किसी न किसी रूप में जरूर दर्शन देते हैं. ऐसे तो भगवान कण-कण में हैं और लोगों को विभिन्न […]
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