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पंचायत सीटों में आरक्षण का नहीं हो पाया निर्धारण
विधि विभाग के सुझाव के बाद ही मिलेगा अंतिम रूप निर्वाचन आयोग ने सरकार के पास भेजी संचिका, मांगी राय पटना : त्रिस्तरीय पंचायत में सीटों के आरक्षण का निर्धारण अभी तक नहीं तैयार हुआ. इसके कारण पूर्व में जिला पंचायती राज पदाधिकारियों के प्रशिक्षण को टाल दिया गया. राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध […]
विधि विभाग के सुझाव के बाद ही मिलेगा अंतिम रूप
निर्वाचन आयोग ने सरकार के पास भेजी संचिका, मांगी राय
पटना : त्रिस्तरीय पंचायत में सीटों के आरक्षण का निर्धारण अभी तक नहीं तैयार हुआ. इसके कारण पूर्व में जिला पंचायती राज पदाधिकारियों के प्रशिक्षण को टाल दिया गया. राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में सरकार के पास संचिका भेज दी है, जिस पर राय मांगी गयी है. विधि विभाग के सुझाव के बाद ही आरक्षण के प्रावधान को अंतिम रूप दिया जायेगा.
राज्य निर्वाचन आयोग ने 11 मई को ही जिलों में वार्डवार मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन का निर्देश दिया था. इसके बाद आयोग की ओर से पंचायत में मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य, पंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के सदस्यों की सीटों में आरक्षण का बदलाव किया जाना है.
पंचायती राज अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि दो निर्वाचन के बाद अनुसूचित जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में बदलाव किया जाना है. अधिनियम में 50 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान करने के बाद 2006 और उसके बाद 2011 में चुनाव करा लिया गया था. जब पंचायत का चुनाव 2016 में होना है तो इसमें एक पेच फंस गया है.
वह सबसे बड़ा पेच है कि अधिनियम के अनुसार नियमावली में संशोधन नहीं किया गया है. नियमावली में संशोधन के लिए ही आयोग ने सरकार के पास संचिका भेजी है. सरकार नियमावली में संशोधन और इस पर कैबिनेट में निर्णय नहीं लेती तब तक आरक्षण की व्यवस्था आगे नहीं बढ़ेगी.
अब यह सरकार के ऊपर है कि वह जितनी जल्द हो सके नियमावली में संशोधन कर कैबिनेट की सहमति ले ले. वर्ष 2001 में पंचायतों में 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी.
जब नीतीश कुमार सत्ता में आये तो इसे बढ़ा कर 50 फीसदी कर दी. उस समय आरक्षण के लिए सीटों के निर्धारण में आयोग का अच्छा वक्त लगा था. आयोग के समक्ष यह चुनौती है कि करीब 8402 पंचायतों, करीब एक लाख 15 हजार वार्डो, साढ़े ग्यारह हजार पंचायत समिति और 11 सौ जिला परिषद के लिए निर्धारित सीटों में आरक्षण का प्रावधान बदलना है.
राज्य स्तर पर आयोग ने पंचायती राज विशेषज्ञों से इस संबंध में परामर्श कर सीटों में नये सिरे आरक्ष़ण को लागू करने का प्रारूप तैयार कर लिया है.
जानकारों का मानना है कि अगर सरकार इस मामले में शीघ्र निर्णय नहीं लेती है तो विधानसभा चुनावों के उलझन जाने के बाद तो इस पर निर्णय तक पहुंचाने में बड़ी चुनौती होगी. इधर पंचायती राज मंत्री विनोद प्रसाद यादव ने बताया कि यह रूटीन प्रक्रिया है. सरकार आयोग की अनुशंसा पर विधि विभाग से परामर्श लेकर इसे जल्द आयोग को वापस लौटा देगी.
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