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रंगरेलियां मनाने के आरोप में बरखास्त तीनों जज बहाल : पटना हाइकोर्ट

पटना : नेपाल के एक होटल में रंगरेलियां मनाने के आरोप में सेवा से बरखास्त तीन जजों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब पटना हाइकोर्ट ने उनकी बरखास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह के दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरा के एडहॉक एडहॉक डिस्ट्रिक्ट एंड […]

पटना : नेपाल के एक होटल में रंगरेलियां मनाने के आरोप में सेवा से बरखास्त तीन जजों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब पटना हाइकोर्ट ने उनकी बरखास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया.
मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह के दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरा के एडहॉक एडहॉक डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज जितेंद्र नाथ सिंह, मुजफ्फरपुर के फैमिली कोर्ट के प्रधान जज हरिनिवास गुप्ता और नवादा के सब-जज कोमल राम के बरखास्तगी आदेश को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीनों के खिलाफ बिना उनका पक्ष जाने उनकी नौकरी खत्म करने का एकतरफा आदेश दिया गया था. पटना हाइकोर्ट की सिफारिश पर राज्य कैबिनेट ने फरवरी, 2014 में इन तीनों जजों को बरखास्त करने का फैसला लिया था.
मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षतावाले खंडपीठ ने हाइकोर्ट प्रशासन को आदेश दिया कि वह तीनों जजों के खिलाफ दो महीने के भीतर विभागीय कार्यवाही पूरी करे. यदि उन पर दोष साबित हुआ, तो कार्रवाई की जायेगी और दोष साबित नहीं हुआ, तो उन पर लगे सभी आरोप वापस ले लिये जायेंगे.
खंडपीठ ने तीनों जजों को पेंशन और जीविकोपाजर्न भत्ता भी देने का आदेश दिया. तत्कालीन पीठ ने तीनों जजों को बरखास्त करने के साथ ही उन्हें पेंशन और जीविका के लिए देय न्यूनतम भत्ता देने से भी मना कर दिया था. मुजफ्फरपुर फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश हरिनिवास गुप्ता रिटायर हो गये हैं, जबकि आरा के एडीजे की सेवाकाल आजकल में समाप्त होनेवाली है.
क्या है मामला
तीनों जजों पर 26 जनवरी, 2013 को गणतंत्र दिवस समारोह के बाद नेपाल के विराटनगर शहर में बस स्टैंड के पास स्थित मैट्रो होटल में ऐयाशी करने का आरोप लगा था. हालांकि, उनकी गिरफ्तारी का कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है.
इसकी खबर नेपाल के अखबार ‘उद्घोष’ में 29 जनवरी, 2013 को छपी थी. इसके मुताबिक, विराटनगर पुलिस ने उस होटल में छापेमारी कर इन तीनों जजों को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा था. हालांकि, पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. पूछताछ में ही तीनों ने अपने को बिहार न्यायिक सेवा के अधिकारी बताया था.
इसी खबर के आधार पर पटना हाइकोर्ट की तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोशित की अध्यक्षता में पूर्ण कोर्ट की बैठक में इन तीनों जजों को बरखास्त करने की सिफारिश राज्य सरकार से की गयी, जिसके आधार पर राज्य कैबिनेट ने फरवरी, 2014 को उन्हें बरखास्त करने का निर्णय लिया लिया था.

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