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ढैंचा की खेती से बढ़ायी जा सकती है खेत की उर्वरा शक्ति : बीएओ

हरित खाद के प्रयोग पर दिया बलमहाराजगंज . महंगी रासायनिक खाद के विकल्प में हरित खाद का खेत में प्रयोग करने की सलाह महाराजगंज के बीएओ हरिशंकर सिंह ने दी. प्रखंड में शनिवार को आयोजित किसान कार्यशाला में बीएओ ने कहा कि रासायनिक खाद के असंतुलित प्रयोग से एक तरफ जहां किसानों की आर्थिक क्षति […]

हरित खाद के प्रयोग पर दिया बलमहाराजगंज . महंगी रासायनिक खाद के विकल्प में हरित खाद का खेत में प्रयोग करने की सलाह महाराजगंज के बीएओ हरिशंकर सिंह ने दी. प्रखंड में शनिवार को आयोजित किसान कार्यशाला में बीएओ ने कहा कि रासायनिक खाद के असंतुलित प्रयोग से एक तरफ जहां किसानों की आर्थिक क्षति होती है, वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती है. रासायनिक खाद से उपजायी गयी फसल को खाने से विभिन्न बीमारियों के होने का भय भी बना रहता है. बीएओ ने कहा कि खेत में ढैंचा, सनई व दलहन में मूंग की खेती कर 40 से 45 दिनों में जुताई कर मिट्टी में मिला देने से जमीन उपजाऊ बन जाती है. जमीन में नेत्रजन, पोटाश, फासफोरस, कैलशियम आदि पूर्ण मात्रा जमीन को प्राप्त होती है. अलावे इसके किसान भाई मवेशी के गोबर का भी इस्तेमाल कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. किसान कूड़े-कचरे एक गड्ढे में जमा कर कंपोस्ट खाद बना कर उसका इस्तेमाल कर सकते है. यह खाद रासायनिक खाद से काफी सस्ती पड़ती है व जमीन को उपजाऊ भी बनाती है. मौके पर सभी एसएमएस, कृषि सलाहकार व बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे.

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