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ट्रांसफॉर्मर बदलने में घपला 37 करोड़ का नुकसान : मोदी

निगरानी से जांच की मांग पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 16 और 25 केवीए के जले ट्रांसफॉर्मर को 63 केवीए के ट्रांसफॉर्मर से बदलने में नियम के विपरीत आदेश दिया गया. इसके कारण राज्य को 37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. बिजली उपकरणों की खरीद में व्यापक धांधली का […]

निगरानी से जांच की मांग
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 16 और 25 केवीए के जले ट्रांसफॉर्मर को 63 केवीए के ट्रांसफॉर्मर से बदलने में नियम के विपरीत आदेश दिया गया. इसके कारण राज्य को 37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
बिजली उपकरणों की खरीद में व्यापक धांधली का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि एक ही सामग्री की खरीद के लिए अलग-अलग जिलों में अलग-अलग दर पर आदेश दिया गया. इसके कारण एक ही सामग्री की कीमत दूसरे जिलों में बड़े अंतर के साथ खरीद की गयी.
सामग्री न्यू. दर अ. दर
ट्रांसफॉर्मर 104172 160000
पीएससी पोल 2104 4924
जी आइ स्ट्रर 71000 101541
ए बी स्विच 1662 58000
स्टे सेट 1020 2464
तीन फेज के 63 केवीए के डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर जहां मेसर्स एवरेस्ट इन्फ्रा को बक्सर जिले के लिए एक लाख साठ हजार रुपये में दिया गया, उसी की कीमत नवादा में एक लाख 22 हजार 875 रुपये दी गयी. वहीं पटना में एस पी एम एल को एक लाख चार हजार 172 रुपये में काम दिया गया.
इसकी जांच निगरानी और महालेखाकार, बिहार से कराया जाये. वे एक, पोलो रोड स्थित आवास पर पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे.
अगर एसीएस आर कंडक्टर्स, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर, पी एस सी पोल, एबी स्विच, स्टे सेट, गेलवेनाइज्ड स्टील की खरीद का निर्देश न्यूनतम दर पर दिया गया होता, तो इस मद में सरकार को 59 करोड़ 26 लाख कम खर्च होते, लेकिन 96 करोड़ 47 लाख रुपये पर खरीद का आदेश दिया गया. इससे 37 करोड़ 20 लाख रुपये का लाभ कंपनियों को मिला.
कंपनियों को चेतावनी : उन्होंने कहा कि जो कंपनियां इस बहती गंगा में हाथ धोने की षडयंत्र कर रही है, उसे चेतावनी दी जाती है कि वह इस तरह के सौदेबाजी से दूर रहे, अन्यथा भाजपा की सरकार बनने पर ऐसे कंपनियों को काली सूची में डाला जायेगा और शामिल लोगों को जेल भेजा जायेगा.
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर ट्रांसफॉर्मर के लिए निविदा निकाली गयी, लेकिन बिहार का माहौल इतना बिगड़ गया है कि कोई कंपनी यहां आना नहीं चाहती है. ऐसे में राज्य सरकार ने 2012 में निर्धारित दर पर यह निर्णय लिया. इसके लिए कंपनियों को निर्धारित दर से पांच प्रतिशत अधिक लाभ दिया गया.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में लोहा 52 हजार रुपये प्रति टन था और 2015 में यह घट कर 37 हजार रुपये प्रति टन हो गया है. यदि सरकार 2015 में निविदा निकाल कर कार्य का आवंटन करती तो राज्य को 75 करोड़ रुपये की बचत होती. पत्रकार सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश महामंत्री सुधीर कुमार शर्मा मौजूद थे.
जब मंजर ही टूट गया, तो फल कहां से आयेगा: मोदी
पटना : जनता परिवार के महाविलय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोहा पर पलटवार करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब पेड़ का मंजर ही टूट गया है, तो फल कहां से आयेगा.
वे माली द्वारा पेड़ को सींचने और समय आने पर फल आने के नीतीश कुमार के दोहे पर चुटकी ले रहे थे. मोदी ने कहा कि भाजपा के तूफान के झटके में जनता परिवार के पेड़ में लगे मंजर नहीं रह गया है. अब वे कितना भी सींचे, कुछ मिलनेवाला नहीं है. मोदी ने कहा कि जब बीज खराब हो तो ऋतु आने पर आनेवाला फल खाने लायक नहीं होगा. चाहे उस पेड़ में सौ घड़ा पानी क्यों न डाले.

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