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फसल क्षति मुआवजा: प्रखंड स्तर के अफसरों की मनमानी, किसान परेशान नियम भी मेरा, तारीख भी मेरी

पटना: हाल में तूफान, ओलावृष्टि समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की लाखों हेक्टेयर रबी, तेलहन समेत अन्य फसल क्षति हो गयी थी. इसकी भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 608 करोड़ रुपये फसल क्षति का मुआवजा बांटने के लिए रुपये जारी किये हैं. कई जिलों में इसके बंटने की रफ्तार धीमी है, तो […]

पटना: हाल में तूफान, ओलावृष्टि समेत अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की लाखों हेक्टेयर रबी, तेलहन समेत अन्य फसल क्षति हो गयी थी. इसकी भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 608 करोड़ रुपये फसल क्षति का मुआवजा बांटने के लिए रुपये जारी किये हैं. कई जिलों में इसके बंटने की रफ्तार धीमी है, तो कई जिलों में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी मनमाना नियम बना ले रहे हैं. इसके लिए किसानों से ही आवेदन करवा रहे हैं, जिन्होंने आवेदन किया उनका ही सव्रे होगा तथा मुआवजा मिलेगा और आवेदन करने के लिए अपने तरीके से अंतिम तारीख तक तय कर ली है, जबकि मुख्यालय से इस तरह का कोई निर्देश जारी नहीं किया है.
यह है मामला
इसकी एक बानगी देखने को मिली नालंदा जिला के एकंगरसराय प्रखंड में मुआवजा की राशि प्राप्त करने के लिए जब एक किसान ने बीडीओ पंकज कुमार से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि आवेदन करने की अंतिम तारीख शनिवार (9 मई) को ही खत्म हो गयी है. अब आवेदन नहीं होगा. जिन किसानों ने आवेदन किया है, उनके खेतों का ही सव्रे करा कर मुआवजा दिया जा रहा है. अन्य किसी किसान को मुआवजा नहीं मिलेगा, जो छूट गये, वे छूट गये. उनसे पूछा गया कि अंतिम तारीख जैसी तो कोई बात सरकार की तरफ से नहीं कहा गया है, तो जवाब था कि इस संबंध में प्रधान सचिव का पत्र उनके पास आया है. इसी तरह की स्थिति हरनौत समेत अन्य प्रखंडों में ही देखी गयी.
शिकायत कोषांग नहीं
कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि मुआवजा वितरण के लिए आपदा प्रबंधन विभाग नोडल विभाग है. कृषि विभाग सिर्फ प्राप्त रुपये को जिला में भेजने का काम करता है. विभाग में इससे संबंधित शिकायत सुनने के लिए कोई अलग से कोषांग नहीं बनाया गया है. जिला स्तर पर डीएम इसकी शिकायत सुनेंगे. किसी जिला में वितरण कार्य में गड़बड़ी की बात सामने आने पर अगर कृषि विभाग का पदाधिकारी होगा, तो विभाग कार्रवाई करेगा. अगर दूसरे विभाग के पदाधिकारी होंगे, तो संबंधित विभाग को उस पर कार्रवाई करना है.
कैसे तय हो गयी अंतिम तारीख
कृषि विभाग में मुआवजा वितरण कार्य की मॉनीटरिंग करने के लिए नोडल अधिकारी डिप्टी डायरेक्टर (स्टैट्सिटीक) शैलेश कुमार को बनाया गया है. जब उनसे इस मामले में संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि अंतिम तारीख जैसे कोई बात नहीं है और न ही इस तरह का कोई पत्र ही जिला में भेजा गया है. सिर्फ आवेदन करनेवाले किसानों को ही मुआवजा दिया जायेगा जैसी भी कोई बात नहीं है. बल्कि कृषि समन्वयक और राजस्व कर्मचारी को मिल कर सव्रे करके प्रभावित किसानों की सूची तैयार करनी है. अब सवाल उठता है कि इस तरह का मनमाना नियम बना कर बीडीओ मुआवजा वितरण कैसे कर रहे हैं. अगर आवेदन के लिए इस तरह की कोई तारीख तय की गई है, तो उसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया गया?
इस तरह बनी सूची पर भी सवाल
इस तरह मनमाना नियम के आधार पर तैयार सूची पर भी सवाल उठना लाजमी है. एकंगरसराय प्रखंड के तहत आने वाली कई पंचायतों में यह देखा गया कि सूची में छोटे या कम जमीनवाले किसानों का नाम ही नहीं है. कुछ जिलों में किसान के नाम पर कई ऐसे लोगों का भी नाम है, जिनके पास खेती की जमीन नहीं है. इसमें सेटिंग-गेटिंग की बात साफतौर पर दिखती है. किसान समन्वयक, राजस्व कर्मचारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी समेत मिल कर अपने आधार पर ही किसानों के नाम की सूची तैयार कर दी गयी है. इस वजह से वास्तविक रूप से प्रभावित हुए गरीब और कमजोर किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. बटाईदार किसानों की भी सुधि नहीं ली जा रही है.

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