श्रीलाल शुक्ल (1925 – 2011)हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे. वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे. उनका पहला प्रकाशित उपन्यास सूनी घाटी का सूरज (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग्य अंगद का पांव (1958) है. स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास राग दरबारी (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन धारावाहिक का निर्माण भी हुआ. श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 मे पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है.भीष्म साहनी (1915-2003)आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे. भीष्म साहनी को हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है. उन्हें 1975 में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1975 में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), 1980 में एफ्रो एशियन राइटर्स एसोसिएशन का लोट्स अवार्ड, 1983 में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा 1998 में भारत सरकार के पद्म भूषण अलंकरण से विभूषित किया गया. उनके उपन्यास तमस पर 1986 में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था.केदारनाथ सिंह (1934)हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं. वे अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक के कवि हैं. भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष 2013 का 49 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया. वे यह पुरस्कार पाने वाले हिंदी के 10वें लेखक हैं. केदारनाथ सिंह को मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान जैसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं.
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श्रीलाल शुक्ल (1925 – 2011)हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे. वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे. उनका पहला प्रकाशित उपन्यास सूनी घाटी का सूरज (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग्य अंगद का पांव (1958) है. स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास […]
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