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अस्पताल में बेटे की मौत पर बोले पिता, लुट तो मैं गया मुझ पर ही आरोप
पटना: ‘बेटा खोने का दर्द क्या होता है यह अस्पताल प्रबंधन को क्या मालूम. मेरा तो सब कुछ लुट गया. मेरा इकलौता सहारा चला गया. घर में क्या हालत है, बच्चों को समझाना मुश्किल हो रहा है, हर वक्त चेहरा सामने घूम रहा है. पत्नी उसी दिन से बेसुध है, मेरी खुशियां लूटने के बाद […]
पटना: ‘बेटा खोने का दर्द क्या होता है यह अस्पताल प्रबंधन को क्या मालूम. मेरा तो सब कुछ लुट गया. मेरा इकलौता सहारा चला गया. घर में क्या हालत है, बच्चों को समझाना मुश्किल हो रहा है, हर वक्त चेहरा सामने घूम रहा है. पत्नी उसी दिन से बेसुध है, मेरी खुशियां लूटने के बाद अस्पताल प्रबंधन अब मुझ पर ही लूटपाट का आरोप लगा रहा है. मैं अस्पताल में बेटे को इलाज के लिए ले गया था, लूटपाट करने नहीं गया था. अस्पताल प्रबंधन से मेरा सवाल है कि जिसका बेटा चला जाता है, वह लूट करने की स्थिति में होता है क्या’?
अरविंद हॉस्पिटल की तरफ से हंगामे के दौरान लूटपाट के लगाये गये आरोप को खारिज करते हुए मृतक मनीष चौधरी के पिता डॉ एलके चौधरी ने प्रभात खबर से हुई खास बातचीत में अपना दर्द साझा किया. टीपीएस कॉलेज समीप स्थित आवास में बेहद गमगीन माहौल में बैठे श्री चौधरी ने कहा कि अस्पताल तो हद कर रहा है. अस्पताल प्रशासन ने पहले लापरवाही की, जिससे मेरा बेटा चला गया, अब लूट का आरोप लगा रहा है. हम और हमारे परिवार के सदस्य क्या लूट करेंगे, सब बदहवास थे. पुलिस ने सब कुछ देखा है, अस्पताल में किस तरह से अंधेरा छाया हुआ था और लोग अपने लोगों को बचाने में जुटे थे. डॉक्टर और स्टाफ अस्पताल छोड़ कर भाग गये. यहां बता दें कि अस्पताल प्रबंधन की तरफ से आरोप लगाया है कि मनीष की मौत के बाद उनके परिजनों ने हंगामा किया, सिस्टर रूम में तोड़फोड़ किया और कैश काउंटर से 60 हजार रुपये लूट लिये. इस मामले में प्रबंधन ने मृतक मनीष के परिवारों पर एफआइआर दर्ज करायी है.
अस्पताल पर उठाये सवाल
मृतक के पिता ने कहा कि आइसीयू में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी, जीवन रक्षक प्रणाली की ऐसी हालत कभी नहीं देखी थी. जिस घर के मरीज आइसीयू में अंधेरे में तड़प रहे थे, उनके घरवाले लूट कैसे कर सकते हैं. अस्पताल प्रबंधन काउंटर केस करके बचना चाहता है. उन्होंने कहा कि मैं भी बैजनाथ आयुर्वेद में जनरल मैनेजर हूं. 40 साल से नौकरी कर रहा हूं, लूटपाट करना मेरा पेशा नहीं है. मेरा सवाल अस्पताल प्रबंधन से है कि बिजली और जेनरेटर खराब होने के बाद आइसीयू में पावर सप्लाइ की व्यवस्था थी क्या? क्या लंबे समय तक आइसीयू में अंधेरा नहीं था? क्या डॉक्टर और कर्मचारी नहीं भाग गये थे?
क्या है मामला
अशोक राजपथ पर स्थित अरविंद हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड में गुरुवार की शाम अचानक बिजली सप्लाइ ठप होने से अफरा-तफरी मच गयी थी. करीब साढ़े चार घंटे तक अस्पताल की बिजली गुल रहने से आइसीयू में भरती 15 मरीज मौत से संघर्ष करते रहे. इस बीच आइसीयू में भरती एक मरीज मनीष चौधरी (37 वर्ष) की मौत होने पर आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में खूब हंगामा किया था. परिजनों व मौजूद भीड़ ने अस्पताल के कैश काउंटर में तोड़फोड़ की थी, जिसके बाद अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ वहां से भाग गयो थे. हंगामे के बाद देर रात अस्पताल लगभग खाली हो चुका था. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
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