जदयू सरकार की किसान विरोधी नीतियों से तबाह हो कर अब बिक्रम में प्रीतम कुमार ने आत्महत्या करने की चेतावनी दी है. और किसान अपनी जान न गंवाये, इसके पहले बिहार सरकार ठोस कदम उठाये और किसानों में भरोसा कायम करे. धान खरीद घोटाले के बाद अब क्षतिपूर्ति मुआवजे में भी गंभीर गड़बड़ी को ले कर किसान सड़कों पर उतर रहे हैं.
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किसान दे रहे जान, सरकार दे रही खोखले बयान : नंद किशोर
पटना. विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि खुदकुशी और सदमे में किसानों की मौत के बाद भी जदयू सरकार की नींद नहीं खुली है. जदयू के सुर में सुर मिलाने और किसानों की हितैषी होने का ढ़िढ़ोंरा पिटने वाली राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियां भी किसानों की मौत पर […]
पटना. विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि खुदकुशी और सदमे में किसानों की मौत के बाद भी जदयू सरकार की नींद नहीं खुली है. जदयू के सुर में सुर मिलाने और किसानों की हितैषी होने का ढ़िढ़ोंरा पिटने वाली राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियां भी किसानों की मौत पर शर्मनाक चुप्पी साधे हुए हैं.
बिक्रम के प्रीतम कुमार ने पैक्स के माध्यम से अपनी धान बेची थी. जदयू सरकार ने दावा किया था कि धान खरीद के 48 घंटे के भीतर धान बिक्रेता के खाते में भुगतान हो जायेगा, किंतु प्रीतम को दो माह बाद भी पैसे नहीं मिले. थक-हार कर हताशा में उसने आत्म-दाह की चेतावनी दी है. बांकी किसानों की भी कमो-बेस यही स्थिति है. फसल क्षति मुआवजे में भी फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आ रही है. पूर्णिया के बाद मधेपुरा में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. कहीं सूची में गड़बड़ी है, तो कहीं वितरण में. सरकारी मशीनरी वास्तविक लाभुकों तक पहुंचने में नाकाम साबित हुई है. यही वजह है कि किसान हर दिन सड़क पर उतर रहे हैं. राजद के समर्थन से चल रही जदयू की सरकार को यह समझना होगा कि सिर्फ खोखले बयान जारी करने से किसानों को उसका हक नहीं मिल जाता. इसके लिए किसानों के प्रति संवदेनशील नीति और प्रशासनिक मशीनरी की पकड़ भी जरुरी है.
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