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वाम दलों में विलय नहीं, तालमेल होगा

पटना : माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी के वामदलों के विलय के प्रस्ताव से माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वामदलों के बीच सीटों का ताल-मेल होगा. विधान परिषद की 24 सीटों के लिए होनेवाले चुनाव में इस ताल-मेल का असर दिखेगा. दीपंकर ने यह बात […]

पटना : माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी के वामदलों के विलय के प्रस्ताव से माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वामदलों के बीच सीटों का ताल-मेल होगा. विधान परिषद की 24 सीटों के लिए होनेवाले चुनाव में इस ताल-मेल का असर दिखेगा.
दीपंकर ने यह बात शुक्रवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही. भाकपा माले अब-तक विधान परिषद का चुनाव लड़ने से परहेज करती रही है, पर इस बार वह चुनाव लड़ने को कैसे राजी हो गयी? इस पर उन्होंने कहा कि विधान परिषद में निकाय और गांव-पंचायतों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है.
वहां खेत-मजदूरों के सवाल पर माले व अन्य वाम दल मजबूती से अपनी बात उठायेंगे. बिहार विधान परिषद के लिए भाकपा माले कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी, इस पर उन्होंने कहा कि दो-तीन दिनों में पार्टी की राज्य कमेटी की बैठक में यह फैसला हो जायेगा. उन्होंने सबसे अधिक सदस्यों वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने के भाजपा के दावे को ‘फेक दावा’ करार दिया.
उन्होंने कहा कि मोबाइल से वह पार्टी का सदस्य बना रही है. उसने तो यूपी के माले नेता मो सलीम को भी मोबाइल से पार्टी का सदस्य बना दिया है. उन्होंने जनता-परिवार के विलय को ले कर कहा कि अभी तो जदयू और राजद में ही घमसान मचा है. जदयू से पहले जीतन राम मांझी अलग हुए, अब राजद से पप्पू यादव. दोनों दलों के विलय पर अब भी संशय बना है.
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध भले ही जनता-परिवार के लोग कर रहे हैं, किंतु यूपी में अखिलेश यादव सरकार ने सबसे अधिक खेती की जमीन अधिग्रहण कराने का काम किया है.
बिहार में पिछले 25 वर्षो से लालू-नीतीश का शासन रहा है, किंतु सामाजिक न्याय, भूमि सुधार और युवकों को रोजगार देने के मामले में दोनों की सरकारें विफल रही. बिहार सरकार की नाकामी के खिलाफ माले राज्यव्यापी आंदोलन करेगी.
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की एक वर्ष में जितनी भद्द पिटी है, उतनी किसी भी सरकार की नहीं पिटी. नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने के लिए दिल्ली में 10-11 मई को आइसा और 26 मई को मजदूर संगठनों के कन्वेंशन में निर्णय लिया जायेगा. संवाददाता सम्मेलन में यूपी के माले नेता मो. सलीम और धीरेंद्र झा भी मौजूद थे.

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