खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार इन मिलरों से वसूली के लिए आर्थिक अपराध इकाई में मामला दर्ज करा चुकी है. जल्द ही प्रक्रिया को पूरी करने के बाद ऐसे मिलरों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.
इओयू सूत्रों ने बताया कि ऐसे मिलरों में कई की संपत्ति पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, झारखंड, नोयडा सहित देश के अन्य राज्यों में चिह्न्ति किया जा चुका है. न्यायालय से अनुमति मिलते ही ऐसे मिलरों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी. उधर, धान की खरीद और चावल के लिए मिलरों को धान देने की जिम्मेवारी संभाल रहे राज्य खाद्य निगम ने 678 ऐसे मिलरों की भी पहचान की है, जो सरकार की बार-बार चेतावनी के बावजूद अब तक एक भी पैसा जमा नहीं किया है. ऐसे मिलरों पर 1307 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. ऐसे मिलरों समेत 1108 मिलरों पर एफआइआर दर्ज करा दिया गया है.
अधिकारी ने बताया कि सरकार की सख्ती के बाद अब तक लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है. अब तक 1652 मिलरों पर धान या चावल की रिकवरी के लिए मामला दर्ज किया जा चुका है. जो बकाये का भुगतान नहीं कर रहा है. उधर, राज्य खाद्य निगम के एमडी एके सिंह ने कहा कि वैसे मिलर जो भुगतान कर रहे हैं, यदि उनका निगम पर बकाया है, तो वे सामंजन कर भुगतान करें. ऐसे मिलरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी. उन्होंने कहा कि बकाये का भुगतान नहीं करने वाले मिलरों पर कार्रवाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि बड़े बकायेदारों पर आर्थिक अपराध इकाई में मामला दर्ज किया गया है. इसके बावजूद यदि वे बकाये का भुगतान नहीं करते हैं तो संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई होगी. पटना उच्च न्यायालय ने भी सरकार को इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मिलरों को सहयोग करने के एवज में राज्य खाद्य निगम के कई अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.