नगर निगम क्षेत्र में नहीं है गंगा तट की जमीन
।। प्रभात रंजन ।।
पटना : मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने गंगा किनारे निर्मित अवैध इमारतों को तोड़ने और नये निर्माण को रोकने के लिए नियमावली बनाने की घोषणा बुधवार को की थी. उनकी इस घोषणा के बाद दीघा से लेकर राजापुर पुल तक के इलाके में रहने वाले लोग सशंकित हैं. साथ ही मुख्य सचिव की घोषणा ने कई सवाल भी खड़े कर दिये हैं.
गंगा के बांध के उत्तर का इलाका पटना नगर निगम के क्षेत्र में नहीं है, लेकिन यहां जो भी बड़ी–बड़ी इमारतें बनी हैं, उनका नक्शा नगर निगम ने पास किया है. दूसरी तरफ, दाखिल–खारिज सर्किल ऑफिस पटना सदर से हुआ है. गंगा सुरक्षा बांध के उत्तर 15 अपार्टमेंट बना है या निर्माणाधीन है. यहां रहने वाले लोग लोगों का कहना है कि गलती नगर निगम ने की है, तो इसका खामियाजा हम क्यूं भुगतें. सरकार कोई दूसरा रास्ता निकाले.
हमें फ्लैट से बेदखल करने का सरकार को कोई अधिकार नहीं है. दूसरी तरफ, जिनका पुश्तैनी जमीन है, वे चाहते हैं कि नियमावली बने.
गंगा की धारा के रास्ते में बन गयीं इमारतें : गंगा सुरक्षा बांध के उत्तर जितने भी अवैध निर्माण हैं, उस निर्माण में गंगा का पानी प्रवेश कर गया है. इससे साफ है कि मैनपुरा से पहलवान घाट तक सुरक्षा बांध के उत्तर गंगा की धारा में ही अपार्टमेंट का निर्माण किया जा रहा है. इन अपार्टमेंटों के बेसमेंट में गंगा के पानी का बहाव हो रहा है.
यही स्थिति कुर्जी मोड़, चैनपुर के रोड नंबर-31 और राजापुर पुल के समीप, दूजरा आदि जगहों पर बन रहे अपार्टमेंट के बेसमेंट में देखा जा सकता है. दूसरी तरफ, दो दशक पहले तक गांव रहे मैनपुरा का पूर्वी–पश्चिमी हिस्सा, चैनपुर और दूजरा गांव में किसी के घर में गंगा का पानी प्रवेश नहीं किया है.
अब भी निर्माण जारी: निगम प्रशासन ने करीब कुछ माह पूर्व निर्माण पर रोक लगाते हुए निगरानीवाद का मामला चलाया. बिल्डरों ने निगम के विरुद्ध हाइकोर्ट में रिट दायर किया, जहां एकल खंडपीठ ने निगम के आदेश को खारिज करते हुए निर्माण जारी रखने का आदेश दिया.
नगर निगम ने एकल खंडपीठ के आदेश के विरुद्ध एलपीए किया और डबल खंडपीठ ने एकल खंडपीठ के आदेश को खारिज करते हुए निगम के आदेश को बरकरार रखा. इसके बाद अपार्टमेंट के निर्माण पर कागजी रोक तो है, लेकिन वास्त्विक में निर्माण जारी है.