लाइफ रिपोर्टर@पटनामहंत हनुमान शरम कॉलेज राजापुर-मैनपुरा में गुरुवार को एकल कथा समारोह का आयोजन किया गया. इसमें मशहूर कथाकार डॉ लालजी प्रसाद सिंह ने अपनी कहानी मेरे मौला का कथा-पाठ किया. उनकी कहानी में स्वभाविक रूप से वर्णित गंगा-यमुनी तहजीब सुनकर लोग अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके. कोसी की बाढ़ की विभीषिका के मार्मिक चित्रण ने लोगों को बेहद भावुक कर दिया. इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ बिमल नारायण आर्य ने समीक्षा करते हुए कहा कि डॉ लालजी प्रसाद सिंह की यह रचना मेरे मौला वास्तव में नोबेल पुरस्कार प्राप्त अमेरिकी लेखक अनेस्ट हेमिंग्वे की पुस्तक ‘दि ओल्ड मैन एंड दि सी’ से किसी भी मामले में कम नहीं है. मेरे मौला में बच्चों के सामने मौत मुंह बाये खड़ी है. लेकिन वे उससे जूझना नहीं छोड़ते. उनका प्रसंग पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. डॉ आर्य ने आगे कहा कि डॉ लालजी प्रसाद सिंह की खास बात यह भी है कि इनकी कहानियां पढ़ते हुए प्रेमचंद बरबस याद आ जाते हैं. इनके पात्र जिद की हद तक अपनी समस्याओं से लोहा लेते नजर आते हैं. खुद डॉ लालजी प्रसाद सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में चल कर अब तक लगभग 42 पुस्तकों की रचना की है.प्राचार्य डॉ आर्य ने चुनौती के स्वर में कहा कि मेरे मौला को जो कोई भी एक बार पढ़ लेगा वह समय पड़ने पर मौत से भी लोहा ले सकता है और आत्म हत्या का विचार तो उसके अंदर किसी भी हालत में कभी भी आ ही नहीं सकती है. इस मौके पर प्रो आरएस तिवारी, प्रो बीके राय, प्रो सीडी सिंह, प्रो रंजना कुमारी, प्रो संजना ठाकुर, समेत कई लोग मौजूद थे.
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कोशी की विभिषिका इस दिखेगी पुस्तक में
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