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जालसाज ने आठ बैंकों से कैश कराया चेक

पटना: सरकारी व प्राइवेट फर्म के नाम से जारी चेक का भुगतान आरोपित भरत कुमार ने अलग-अलग बैंकों से कराया है. आठ चेकों से कराये गये 9.01 लाख का भुगतान पटना के आठ बैंकों से हुआ. सभी जगह उसका बैंक एकाउंट मिला है. जाली चेक से होने की बात सामने आने के बाद संबंधित बैंक […]

पटना: सरकारी व प्राइवेट फर्म के नाम से जारी चेक का भुगतान आरोपित भरत कुमार ने अलग-अलग बैंकों से कराया है. आठ चेकों से कराये गये 9.01 लाख का भुगतान पटना के आठ बैंकों से हुआ. सभी जगह उसका बैंक एकाउंट मिला है. जाली चेक से होने की बात सामने आने के बाद संबंधित बैंक के पदाधिकारियों के होश उड़ गये हैं. कोतवाली पुलिस ने मंगलवार को दो बैंकों में जाकर उनके पदाधिकारियों से पूछताछ की है. पुलिस के मुताबिक भरत जालसाजी का मास्टरमाइंड है.
गिरफ्तारी से बड़े रैकेट का हो सकता है खुलासा
घोसवरी ब्लॉक के कृषि पदाधिकारी कार्यालय के चार चेक व तीन अन्य प्राइवेट फर्म के नाम से जारी चार अन्य चेक के जाली चेक से भुगतान के बाद कोतवाली पुलिस पड़ताल तेज कर दिया है. अब तक की जांच में पता चला है कि भरत कुमार का आठ बैंकों में एकाउंट है. उसने जाली चेक से जो भुगतान कराया, वह सभी अलग-अलग बैंक के हैं. इसमें पटना के एग्जीबिशन रोड की शाखा बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, एक्सिस बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, आइएनजी वैश्य सहित कुल आठ बैंकों के नाम हैं. पुलिस ने मंगलवार को बैंक ऑफ बड़ौदा सहित दो बैंकों में जाकर पदाधिकारियों से पूछताछ किया है.
इस पूरे मामले में पुलिस को शक है कि चेक को कैश कराने में कुछ बैंककर्मियों की भी मिली भगत हो सकती है. इसकी जांच की जा रही है. वहीं आरोपित भरत को पुलिस अभी तक ट्रेस नहीं कर सकी है. लेकिन, जिस तरह से चेक कैश कराया गया है उससे साफ है कि अगर आरोपित को गिरफ्तार किया गया, तो बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है.
राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय का कंप्यूटर ऑपरेटर गिरफ्तार, जेल
बिहार राज्य सूचना आयोग के आयुक्त कार्यालय में रखे एक बीडीओ की फाइल में फेरबदल करने के मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर संतोष कुमार को गिरफ्तार कर सचिवालय पुलिस ने मंगलवार को जेल भेज दिया है. इसे सोमवार को पकड़ा गया था और पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की गयी. यह मामला सामने आने के बाद मार्च माह में अवर सचिव प्रमोद कुमार सिंह ने सचिवालय थाने में फाइल में गड़बड़ी करने, सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने की जानकारी देते हुए अनुसंधान कर कार्रवाई करने की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. सचिवालय थानाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार झा ने संतोष की गिरफ्तारी व जेल भेजे जाने की पुष्टि की.

आयुक्त कार्यालय में रखी बीडीओ की फाइनवाली फाइल को किसी ने सही कर दिया व उस पर मुख्य सूचना आयुक्त का फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिया. इसकी जानकारी मिलने पर राज्य सूचना आयुक्त अरुण कुमार वर्मा को जांच की जिम्मेवारी मिली. उन्होंने जांच करने के क्रम में मामले को चार मार्च को ही सही पाया था.

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