-न मानक का ख्याल न रास्ते का जुगाड़संवाददाता, गोपालगंजप्रकृति के कहर से बेखबर लोगों ने आलीशान इमारतें तो खड़ी कर लीं, लेकिन आनेवाली मुसीबतों से लड़ने के उपाय नहीं किये. इसमें सभी दोषी हैं. शहर में खड़ी इमारतें न तो भूकंपरोधी हैं और न ही नियमानुकूल हैं. तंग गलियां से उस समय गुजरना मुश्किल होगा, जिस समय भूकंप अपना प्रभाव दिखा जायेगा. आखिर मलबों को कैसा हटाया जायेगा. जर्जर है पुलिस लाइन भवन : लोगों की सुरक्षा में तैनात पुलिस जवान इन दिनों सड़कों पर रात गुजारने को विवश हैं. शहर स्थित पुलिस लाइन का भवन जर्जर है. वह तो खुदा का शुक्र है कि इस भूकंप के झटके में भवन गिरा नहीं. यहां पांच सौ से अधिक जवान रहते हैं. इनकी जान को हमेशा खतरा रहता है. इस आपदा में खुद असुरक्षित जवान आखिर कब तक जान की बाजी लगा कर ड्यूटी करेंगे. क्या करें भविष्य में उपाय-भूकंपरोधी मकान का हो निर्माण -गालियों के बजाय हो चौड़ी सड़क की व्यवस्था-शहर में बढ़ायी जाये पार्कों की संख्याआपदा से निबटने का प्रशिक्षण-जर्जर भवनों को किया जाये चिह्नित-गलीनुमा स्थान पर नहीं बने बहुमंजिला भवनक्या कहते हैं अधिकारीशहर में जर्जर भवन और तंग गालियों से इनकार नहीं किया जा सकता. भविष्य में इसके लिए सभी को जागरूकता किया जायेगा. मनोज कुमार पवन, कार्यपालक अधिकारी
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शहर में नहीं हैं भूकंपरोधी इमारतें
-न मानक का ख्याल न रास्ते का जुगाड़संवाददाता, गोपालगंजप्रकृति के कहर से बेखबर लोगों ने आलीशान इमारतें तो खड़ी कर लीं, लेकिन आनेवाली मुसीबतों से लड़ने के उपाय नहीं किये. इसमें सभी दोषी हैं. शहर में खड़ी इमारतें न तो भूकंपरोधी हैं और न ही नियमानुकूल हैं. तंग गलियां से उस समय गुजरना मुश्किल होगा, […]
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