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राज्य सरकार का आकलन सही नहीं, केंद्र भेजे अपनी टीम

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने केंद्र सरकार से बिहार में आयी आपदा का आकलन करने का अनुरोध किया. कें द्र सरकार बिहार में अपनी टीम भेजे जो इसकी मॉनीटरिंग करे. मुआवजा देने में केंद्र का तंत्र लगाया जाये. राज्य सरकार अभी तक जो क्षति का आकलन कर रही है, वह वास्तविक नहीं है. […]

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने केंद्र सरकार से बिहार में आयी आपदा का आकलन करने का अनुरोध किया. कें द्र सरकार बिहार में अपनी टीम भेजे जो इसकी मॉनीटरिंग करे. मुआवजा देने में केंद्र का तंत्र लगाया जाये. राज्य सरकार अभी तक जो क्षति का आकलन कर रही है, वह वास्तविक नहीं है. अपने सरकारी आवास एक अणो मार्ग में रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार से की गयी घोषणा के अनुरूप राहत कार्य चलाने की मांग.

उन्होंने वर्ष 2008 में कोसी बांध टूटने के बाद आयी आपदा का हवाला देते हुए बताया कि जो राहत कार्य चलाये गये थे, उसमें बड़ी मात्र में दलाली हुई थी. वास्तविक पीड़ितों को राहत का लाभ न मिल कर उनको राहत मिली, जिनका नुकसान नहीं हुआ था. श्री मांझी ने बताया कि वर्ष 2012-13 में मधेपुरा, सहरसा व सुपौल जिला के प्रभारी मंत्री के रूप में यह बातें उनके सामने आयी थी. 20 सूत्री की बैठकों में बार-बार कोसी आपदा में प्रभावित लोगों को लाभ न मिलने की बात सामने आयी थी. उन्होंने बताया कि कोसी आपदा में एक हजार करोड़ रुपया विश्व बैंक से ऋण लिया गया. इसमें से 10 फीसदी राशि का ही वितरण किया गया है. शेष पैसे कहां गये हैं जिस पर जनता की कमाई से ब्याज का भुगतान किया जा रहा है.

अररिया-संग्राम में ‘खास’ को मिला जमीन अधिग्रहण का मुआवजा पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि भूमि अधिग्रहण को लेकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं. इधर सरकार मुआवजे की राशि नहीं दे रही है. इसी तरह का आंदोलन झंझारपुर के अररिया-संग्राम में चलाया जा रहा है. एक मई को मजदूर दिवस के मौके पर उनके साथ उनकी टीम आंदोलन में शामिल होकर वहां की वास्तविक स्थिति की जानकारी लेगी. देवेंद्र प्रसाद यादव वहां आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. सिक्स लेन की सड़क निर्माण के बाद किसानों की जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी थी. उसमें एक वैसे व्यक्ति को मुआवजे की पूरी राशि दे दी गयी हैं, जहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात-आठ बार जा चुके हैं. वे खुद आंदोलन में भाग लेकर वहां के किसानों से मुआवजे के वहां पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए उनके साथ उनकी टीम के लोग शामिल होंगे कि मुआवजा किसी एक को क्यों दिया गया. मुआवजा सभी लोगों को मिलनी चाहिए. इस मामले में वह प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांग कर मिलेंगे और केंद्र से पूरा पैकेज मांगेंगे.
नेपुरा में मानवता शर्मसार
राज्य सरकार अपना पिंड छुड़ाना चाहती है. उन्होंने कहा कि नालंदा जिला के नेपुरा गांव में धरना का कार्यक्रम आपदा को देखते हुए स्थगित किया गया है. वहां पर 10-15 दिनों बाद जायेंगे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का वह गृह जिला है जहां पर मानवता शर्मसार हुई है. मुख्यमंत्री को खुद वहां जाकर लोगों से मिलना चाहिए. देर से ही सही उनको जाकर स्थिति समझनी चाहिए. कमिश्नर व डीआइजी की टीम से जांच कराने का काम संतोषजनक नहीं है. इस मौके पर वृशिण पटेल, डा महाचंद्र प्रसाद सिंह और विधायक अजीत कुमार मौजूद थे.

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