गांधी मैदान में चांद देखने को इतनी भीड़ इकट्ठा हो गयी कि पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस तैनात करने पड़े. भूकंप से डरे सहमे लोग इस बात को सुन कर और भी खौफ में आ गये. लोगों का मानना था कि चांद की ऐसी दशा पहले कभी नहीं देखी गयी. दरअसल, लोगों का कहना था कि चांद का कटा हुआ भाग ऊपर है जो हमेशा नीचे की ओर रहता है. हालांकि भूगोलविदें एवं पर्यावरणविदें से लेकर पंडितों-मौलानाओं ने इस बात का खंडन किया.
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चांद को लेकर फैली अफवाह, कटा भाग ऊपर होने की बात
पटना: भूकंप के झटकों के बीच बिहार में अफवाहों का दौर भी शुरू हो चुका है. पहले से ही रूक-रूक कर आ रहे झटकों के चलते आशंकित लोगों के बीच रविवार की शाम फैली एक कोरी अफवाह ने उनके मन में डर पैदा कर दिया है. आज पूरे राज्य में ये अफवाह उड़ी की आसमान […]
पटना: भूकंप के झटकों के बीच बिहार में अफवाहों का दौर भी शुरू हो चुका है. पहले से ही रूक-रूक कर आ रहे झटकों के चलते आशंकित लोगों के बीच रविवार की शाम फैली एक कोरी अफवाह ने उनके मन में डर पैदा कर दिया है. आज पूरे राज्य में ये अफवाह उड़ी की आसमान में रविवार को उल्टा चांद निकला है. यह खबर आग में घी की तरह फैली और लोग चांद को देखने घरों से बाहर निकल गये.
प्रभात खबर भी आपसे अपील करता है कि यह सिर्फ अफवाह है. अगर कोई ऐसी खगोलीय घटना होती, तो उसका पता हमारे वैज्ञानिकों को पहले से होता. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. आप ना तो अफवाह पर विश्वास करें और ना ही लोगों के बीच इस अफवाह को फैलने दें.
विशेषज्ञों ने कहा, न हों भ्रमित
सर्वविदित है कि चांद को सूरज से ही रौशनी मिलती है. चांद का पश्चिम वाला का भाग गोल है और पूरब वाला भाग अंधेरा है. इसके हिसाब से चांद के जिस तरफ सूरज है उस तरफ रोशनी है. लोगों को सिर्फ भ्रम हो गया है.
प्रो अमरेंद्र नारायण, फिजिक्स डिपार्टमेंट, पटना विवि
चांद में कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं है. यह जिसने भी अफवाह उड़ाया है वह बिल्कुल ही मनगढ़ंत है और गलत है. ये सारे अफवाह सोशल मीडिया के जरिये फैलाये जा रहे हैं जिस पर ध्यान देने की जरुरत नहीं है. ऐसे भी भूकंप से चांद का कोई लेना देना नहीं है. बार-बार लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है.
प्रो रास बिहारी सिंह (भूगोलविद् व एनओयू के कुलपति)
सूर्य की रोशनी से ही चंद्रमा के प्रकाश का अपवर्तन होता. बादल के अपवर्तन के कारण चंद्रमा में थोड़ा बहुत बदलाव दिख रहा है. इसका कोई भौगोलिक प्रभाव नहीं पड़ने वाला. चिंतित होने की जरूरत नहीं है. यह सामान्य घटना है.
आरके गिरी, डिप्टी डायरेक्टर, मौसम विभाग
पूर्णिमा पंद्रह दिन पर होती है. सोलह दिन में सोलह आकृति (कलाओं) में दिखता है. सूर्य पश्चिम की तरफ डूबता है. सूर्य की पोजिशन के अनुसार चंद्रमा का पोजिशन डिसाइड होगा. भूकंप के कारण लोगों में ऐसी भावना आने लगी है. भूकंप होने पर ब्रrांड में प्रेशर क्रिएट हो जाता है. ऐसे में मौसम गड़बड़ होता है तो पोजिशन खराब दिखता है. अगर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच जो गुरुत्वाकर्षण बल में कमी होने पर पोजिशन अंतर हो सकता है. मगर फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.
डॉ राकेश कुमार सिंह, आर्यभट्ट ज्ञान विवि में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर
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