28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अगड़ी जातियों में 25% के पास रोजगार नहीं

हिंदुओं में कायस्थ, मुसलमानों में सैयद सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार काम करनेवाली कुल आबादी 44.9 फीसदी के करीब पटना : अगड़ी जातियों की बड़ी आबादी को रोजगार नहीं मिल पा रहा है और उनकी कमाई के रास्ते कम होते जा रहे हैं. हिंदू और मुसलमानों की अगड़ी जातियों में काम करनेवाली कुल आबादी का एक […]

हिंदुओं में कायस्थ, मुसलमानों में सैयद सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगार

काम करनेवाली कुल आबादी 44.9 फीसदी के करीब

पटना : अगड़ी जातियों की बड़ी आबादी को रोजगार नहीं मिल पा रहा है और उनकी कमाई के रास्ते कम होते जा रहे हैं. हिंदू और मुसलमानों की अगड़ी जातियों में काम करनेवाली कुल आबादी का एक चौथाई यानी 25 फीसदी के पास रोजगार नहीं है. हिंदुओं में सबसे ज्यादा बेरोजगारी भूमिहारों में है. इस जाति के औसतन 11.8 फीसदी लोगों के पास रोजगार उपलब्ध नहीं है. रोजगार के मौके नहीं पैदा होने की वजह से अगड़ी जातियों के कई परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

राज्य सवर्ण आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगड़ी जातियों में काम करनेवाली आबादी (रोजगार व बेरोजगारों को मिला कर) हिंदुओं में 46.6 फीसदी और मुसलमानों में 43 फीसदी है. यह आंकड़ा वर्ष 2011 की जनगणना में काम करनेवाली कुल आबादी 44.9 फीसदी के करीब है. रिपोर्ट में शहरी और ग्रामीण इलाकों में ऊंची जातियों के बीच बेरोजगारी का स्तर करीब-करीब एक समान बताया गया है.

शहरी इलाकों में बसनेवाली हिंदुओं की कायस्थ जाति में बेरोजगारी का स्तर 14.1 फीसदी है, जो दूसरी अगड़ी जातियों की तुलना में सर्वाधिक है. मुसलमानों में सैयद सबसे ज्यादा (11.3 फीसदी) बेरोजगार हैं. लेकिन, इन दोनों जातियों में शिक्षा का स्तर दूसरी जातियों की तुलना में कहीं ज्यादा है. शहरी इलाके की ऊंची जातियों में शिक्षित बेरोजगारों की तादाद सबसे ज्यादा बतायी गयी है, खासकर कायस्थ और सैयद में. भूमिहार ग्रामीण इलाकों में 13.2 फीसदी और शहरी इलाकों में 10.4 फीसदी बेरोजगार हैं.

ऊंची जाति की महिलाएं काम से हैं दूर

2011 की जनगणना के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की काम करनेवाली आबादी 20.2 फीसदी है. लेकिन, हिंदू और मुसलमानों की ऊंची जातियों की महिलाओं की काम करनेवाली आबादी महज 2.6 फीसदी है.

इसका मतलब है कि सामाजिक चलन के हिसाब से ऊंची जातियों की महिलाओं के काम करने को अच्छा नहीं माना जाता है. रिपोर्ट के अनुसार इसके चलते ऊंची जातियों को इसका आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.शहरी इलाकों में ऊंची जातियों की महिलाओं में काम करनेवाली आबादी का प्रतिशत बहुत कम है. यह हिंदुओं में 7.6 फीसदी और मुसलमानों में 7.4 फीसदी है.

रोजगार का बड़ा जरिया खेती

हिंदुओं में ऊंची जातियों के लोगों में स्वरोजगार का बड़ा जरिया खेती है, क्योंकि उनके पास जमीन बहुत है. रिपोर्ट के अनुसार ऊंची जातियों में 24.7 फीसदी और मुसलमानों की अगड़ी जातियों में 15.7 फीसदी आबादी स्वरोजगार करती है. ग्रामीण इलाकों में ऊंची जातियों का बड़ा हिस्सा तनख्वाह या मजदूरी पर निर्भर है. ऊंची जातियों में यह प्रतिशत 56.3 और मुसलमानों में 82.2 है. ग्रामीण इलाकों में हिंदुओं की ऊंची जातियों में 34 फीसदी के पास नियमित आमदनी नहीं है. जबकि मुसलमानों में यह 58.3 फीसदी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें