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विधानमंडल सत्र : विपक्ष ने अनियमितता व दलाली का लगाया आरोप

सरकार ने कहा, धान अधिप्राप्ति में नहीं हुई कोई अनियमितता पटना : बिहार विधानसभा में धान खरीद के मामले पर पक्ष-विपक्ष में जम कर तकरार हुई. विपक्ष ने जहां धान खरीद में अनियमितता समेत दलालों की चांदी होने का आरोप लगाया, वहीं सत्ता पक्ष ने किसी भी प्रकार की अनियमितता से इनकार किया. विधानसभा की […]

सरकार ने कहा, धान अधिप्राप्ति में नहीं हुई कोई अनियमितता
पटना : बिहार विधानसभा में धान खरीद के मामले पर पक्ष-विपक्ष में जम कर तकरार हुई. विपक्ष ने जहां धान खरीद में अनियमितता समेत दलालों की चांदी होने का आरोप लगाया, वहीं सत्ता पक्ष ने किसी भी प्रकार की अनियमितता से इनकार किया. विधानसभा की दूसरी पाली में धान अधिप्राप्ति पर हुए वाद-विवाद में सरकार की ओर से जवाब देते हुए खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि धान अधिप्राप्ति में किसी भी प्रकार से कोई अनियमितता नहीं हुई है.
उनके पास पंचायत वार सूची तैयार है. पहली बार किसानों का डाटा बेस तैयार किया गया है और उन्हें आरटीजीएस से पेमेंट किया गया. किसानों के खाते में सीधे राशि गयी है. ऐसे में जब किसानों के एकाउंट में राशि दी गयी, तो बिचौलिये कहां से आ गये? विपक्ष या कोई सदस्य एक भी बिचौलिये का नाम बता दे तो सरकार उसकी जांच करायेगी और इसमें जो भी पदाधिकारी, कर्मचारी या फिर कोई नेता ही शामिल क्यों न हो उन पर कार्रवाई की जायेगी.
श्याम रजक ने गया व लखीसराय में लक्ष्य से ज्यादा धान खरीद होने की बात भी स्वीकारी. उन्होंने कहा कि गया में 4.15 लाख मीटरिक टन धान का उत्पादन हुआ. इसमें 1.07 लाख मीटरिक टन धान खरीद का लक्ष्य था, लेकिन 1.32 लाख मीटरिक टन धान की खरीद हुई. उसी प्रकार लखीसराय में 88 हजार मीटरिक टन धान में से 26 हजार मीटरिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 34 हजार मीटरिक टन धान की खरीद हुई. उन्होंने लाठौर राइस मिल सोखइया, औरंगाबाद की भी जांच कराने की बात कही.
खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नवंबर 2014 में धान खरीद का तारीख व लक्ष्य तय कर दिया था. केंद्र ने पहले 31 जनवरी तक का लक्ष्य रखा था. इसके बाद बार-बार आग्रह करने व केंद्रीय मंत्री से मिलने के बाद 28 फरवरी, फिर 31 मार्च तक डेट बढ़ाया गया. बिहार सरकार 15 अप्रैल तक तारीख करने की मांग कर रही थी.
इसके बाद केंद्र से नौ अप्रैल को पत्र आया कि वे 15 अप्रैल तक धान की खरीद कर सकते हैं. इसके बाद तीन दिनों तक छुट्टी रही और बचे तीन दिन में धान की खरीद कैसे हो सकती थी? केंद्र सरकार सिर्फ इस मामले पर राजनीति कर रही है. केंद्र सरकार को दूसरे राज्यों की तरह बिहार को भी समान नजर से देखना चाहिए.
खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने जैसे ही यह बयान दिया कि जो व्यक्ति जोर-जोर से बोलता है, दूसरे का सम्मान भी नहीं करता है, वह अपने परिवार का नहीं हो सका, क्या कहेंगे. इस पर विपक्ष ने आपत्ति जतायी. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि यह दलालों व बिचौलियों की सरकार है.
प्रदेश में किसानों की हालत खराब हो रही है. किसानों को लूटने का काम कर रही है. धान खरीद घोटाले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए. धान खरीद पर आयोजित वाद-विवाद में रामाधार सिंह, प्रदीप कुमार, दुर्गा प्रसाद सिंह, अरुण शंकर प्रसाद, चंद्रशेखर, अरुण कुमार ने भाग लिया.

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