पटना: पटना हाइकोर्ट के शताब्दी समारोह में केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पटना उन्हें इस बात फक्र है कि उन्हें पटना उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने का गौरव मिला. शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यहां बड़े-बड़े विभूतियों ने जन्म लिया और देश भर में नाम कमाया.
ऐसी विभूतियों के द्वारा पारित आदेश की देशभर में सराहना हुई. उन्होंने कहा कि पटना हाई कोर्ट के लिए यह ऐतिहासिक दिन है. डा राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता हाइकोर्ट में प्रैक्टिस छोड़ कर पटना हाइकोर्ट में आये थे. जहां से उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया और देश के प्रथम राष्ट्रपति बने. उन्होंने इस मौके पर अपने पिता और पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता रहे स्व ठाकुर प्रसाद को याद करते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय से उनका वर्षाें का भावनात्मक संबंध रहा है. यहीं से उन्होंने वकालत की शुरुआत की और सामाजिक जीवन में बहुत कुछ सीखा.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राजनीतिक पद और मंत्री का पद तो आते जाते रहता है. लेकिन, एक वकील के रूप में मेरी पहचान सदा रहेगी. संचार और आइटी मंत्री ने कहा कि दूरसंचार और तकनीक के माध्यम से भी न्यायपालिका को और गति प्रदान की जा सकती है. उन्होंने इस मौके पर डाक विभाग की ओर से डाक टिकट जारी करने पर प्रसन्नता जाहिर की.
हो आधुनिकीकरण : सदानंद गौड़ा
केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि न्यायपालिका में आधुनिकीकरण हो और तेजी से न्याय मिले. इसके लिए मेडिएशन और आरब्रिटेशन जैसे न्यायालयों का भी सहारा लेना जरूरी होगा. उनकी भी इच्छा है कि मामलों का तेजी से निबटारा हो और रिक्तियों को तेजी जे भरा जाये, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा. इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिये. फिर भी उनकी कोशिश होगी कि रिक्तियों को जल्द से जल्द भर लिया जाये. उन्होंने कहा कि बिहार की जमीन महापुरुषों से भरी हुई है.
यहां आकर बिहार के बारे में जाना: रेड्डी
पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि उनका सौभाग्य है कि शताब्दी वर्ष में उन्हें भाग लेने का अवसर मिला. पहले बिहार की विभूतियों के बारे में जो पढ़ा करते थे. यहां आने के बाद अनेक बातों की जानकारी मिली. इस बात की जानकारी मिली की यहां की भूमि कितनी गौरवशाली है. यहां सीता, अंग देश, गौतम बुद्ध, चाणक्य और नालंदा विवि, विक्रमशिला, गुरु गोविंद सिंह, वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुष आये. गांधी ने चंपारण से सत्याग्रह आरंभ किया था. सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में आजादी की लड़ाई के जंग का ऐलान किया था. न्याय विदों में लाल नारायण सिन्हा, मौलाना मजहरुल हक जैसे अनगिनत महापुरुष हुए. उन्होंने राष्ट्रपति के आगमन पर ढ़ेर सारी शुभकामनाएं भी दी.