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महोत्सव व मेलों के टेंडर में मंत्री के सामने सेटिंग का खेल

पटना: पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम राज्य में आयोजित होनेवाले महोत्सवों और मेलों के टेंडर में जम कर सेटिंग का खेल चल रहा है. जिसे पर्यटन विभाग ने ब्लैकलिस्टिेड कर दिया है, उसने कंपनी व मालिक का नाम बदल कर फिर ले टेंडर लिया. इस बार सोनपुर मेला और राजगीर महोत्सव जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों […]

पटना: पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम राज्य में आयोजित होनेवाले महोत्सवों और मेलों के टेंडर में जम कर सेटिंग का खेल चल रहा है. जिसे पर्यटन विभाग ने ब्लैकलिस्टिेड कर दिया है, उसने कंपनी व मालिक का नाम बदल कर फिर ले टेंडर लिया. इस बार सोनपुर मेला और राजगीर महोत्सव जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों का ठेका ऐसी ही कंपनियों को दिया गया.जानकारी के मुताबिक पूरी प्रक्रिया की जानकारी मंत्री स्तर पर भी है. इसके बाद भी हेरा-फेरी का खेल जारी है.
पर्यटन विभाग साल में दर्जन भर महोत्सव और मेलों का आयोजन करता है. इनमें राजगीर महोत्सव और सोनपुर मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. इनके आयोजन के लिए होनेवाला टेंडर विभाग के अंतर्गत पर्यटन निदेशालय अपने स्तर से ही करता है, जबकि देव महोत्सव, थावे महोत्सव समेत अन्य महोत्सवों और मेलों के आयोजन का टेंडर जिला स्तर पर होता है. इसके लिए पर्यटन विभाग सिर्फ रुपये जारी कर देता है. अन्य सभी प्रक्रियाएं जिला स्तर पर ही पूरी होती हैं. लेकिन निदेशालय स्तर पर होनेवाले दोनों बड़े टेंडरों में जम कर सेटिंग का खेल होता है.
माधव एंड संस के खिलाफ इओयू में दर्ज करायी गयी थी एफआइआर नवंबर, 2012 में सोनपुर मेले का टेंडर लेने के लिए ‘माधव एंड संस’ कंपनी ने आवेदन किया था. लेकिन, इस कंपनी के कागजात में गड़बड़ी मिलने और टेंडर डॉक्यूमेंट में बड़े स्तर पर हेर-फेर करने समेत अन्य वित्तीय गड़बड़ियों के मामलों में दोषी पाये जाने पर उस समय के तत्कालीन पर्यटन निदेशक डीके श्रीवास्तव ने इस कंपनी और इसके मालिक के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) में एफआइआर दर्ज करायी थी. निदेशक ने कंपनी की पूरी तहकीकात कराते हुए मामले को गंभीरता से उठाया था. विभाग ने इस कंपनी और इसके मालिक दोनों को ब्लैकलिस्टेड तक कर दिया था. लेकिन, इसी बीच निदेशक का तबादला हो गया और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि, यह कंपनी अब भी विभाग की काली सूची में ही मौजूद है.
नयी कंपनियां खोलीं, दिल्ली व कोलकाता में कराया रजिस्ट्रेशन और फिर लिया ठेका
माधव एंड संस के ब्लैकलिस्टेड होने के बाद इसके मालिक ने सगे-संबंधी को मालिक बनाते हुए दो-तीन नयी कंपनियां खोल लीं और जुगाड़ से इनका रजिस्ट्रेशन भी कोलकाता और दिल्ली से करवा लिया. इसके साथ ही विभाग में सेटिंग की बदौलत छोटे-मोटे इवेंट लेने का काम शुरू हुआ. वर्तमान मंत्री के पदभार संभालने के बाद इन कंपनियों की चलती हो गयी. इस बार सोनपुर मेले का ठेका दो हिस्सों में बांट कर दिया गया. पूरी जमीन क्षेत्र का ठेका कोलकाता की कंपनी ‘इंपैक्ट कम्यूनिकेशन’ को दिया गया, जबकि इवेंट, पंडाल और अन्य आयोजनों का ठेका दिल्ली की कंपनी ‘एडलेन प्राइवेट लिमिटेड’ को दिया गया. सूत्र बताते हैं कि ब्लैकलिस्टेड कंपनी ने मंत्री स्तर पर सेटिंग करके इनके साथ मिल कर ठेके पर कब्ज जमाया. इतना ही नहीं, इनमें एक कंपनी उसी ब्लैकलिस्टेड कंपनी का बदला रूप है. सोनपुर मेले में जमीन का ठेका करीब 148 करोड़ और पंडाल का ठेका करीब 90 लाख में दिया गया था. इसी तरह राजगीर महोत्सव का पूरा ठेका ‘पिरामिड’ नामक कंपनी को करीब 88 लाख में दिया गया था. सूत्रों के अनुसार, यह कंपनी पूरी तरह से उसी ब्लैकलिस्टेड कंपनी का बदला रूप है. इसके मालिक ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार के ‘करीबी रिश्तेदार’ हैं.
बड़ी बात यह है कि पेपर पर कहीं इनका नाम नहीं होने से नियमानुसार या ऑन पेपर इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती, विभाग भी इसी का हवाला देकर आराम से निकल जाता है. लेकिन, पीछे से चल रहे इस पूरे खेल में रिंग मास्टर की भूमिका वहीं ब्लैकलिस्टेड लोग निभा रहे हैं.

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