पटना: जिलाधिकारी डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि किसानों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत आंदोलन करना चाहिए और मांगों को रखना चाहिए. आइआइटी का काम रोकने के दोषी किसानों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेंगी. डीएम ने कहा कि सरकार के प्रावधान के अनुरूप भूमि अधिग्रहण किया जाता है और नियमानुसार ही मुआवजे की राशि दी जाती है.
प्रावधान के अनुरूप किसानों को मुआवजे का वितरण किया गया है. शेष किसानों को दिया जा रहा है. लेकिन, किसानों का लालच दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि डीसीएलआर आंदोलन स्थल पर बुधवार व गुरुवार को भी गये, लेकिन किसान वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं. किसानों को कोई शिकायत है, तो मुख्यमंत्री या हमसे करें. डीएम ने घूस लेने के आरोप को गलत बताते हुए कहा कि सरकार के स्तर पर घूसखोर को पकड़ने के लिए कई विंग संचालित किये जा रहे हैं. अगर किसी अधिकारी ने घूस मांगी, तो निगरानी ब्यूरो या डीएम से शिकायत की होती.
भूमि विवाद का हल निकालेगी सरकार
विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री गौतम सिंह ने कहा कि आइआइटी की स्थापना को लेकर राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए बिहटा में 472 एकड़ भूमि उपलब्ध करायी थी. किसानों को मुआवजा भी दिया गया था. कोई समस्या नहीं थी. अचानक वहां किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. प्रदेश के विकास में किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. जिला प्रशासन इस मामले को देख रहा है. जरूरत हुई, तो राज्य सरकार खुद हस्तक्षेप करेगी. हर हाल में विवाद का हल निकाला जायेगा. किसानों का दिल नहीं दुखाया जायेगा व नियमानुसार कार्रवाई होगी, ताकि आइआइटी भवन निर्माण में बाधा न आये. यह मामला हमारे विभाग से नहीं जुड़ा है.
नहीं हटेगा आइआइटी : रमई
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रमई राम ने कहा कि बिहटा भूमि विवाद पर निर्णय जिलाधिकारी को लेना है. जिलाधिकारी भूमि अधिग्रहण व उसके मुआवजे के लिए कमेटी का गठन करते हैं. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही मुआवजा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जायज मांगों को सहानुभूतिपूर्वक सुना जाना चाहिए. आइआइटी के बिहटा से हटाने का कोई सवाल नहीं है. विभाग ने भू-अधिग्रहण के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है. इसी के आधार पर किसानों के जमीन का अधिग्रहण होता है और उसका मुआवजा दिया जाता है. अधिगृहीत जमीन के मुआवजे की 80 फीसदी राशि एक महीने के अंदर दे दी जानी है. योजना तैयार होने के 15 दिनों के अंदर ही शेष 20 फीसदी राशि का भुगतान हो जायेगा. सरकार ने 2007 में ही भू-अर्जन अधिनियम जारी कर दिया था. इसके बाद 14 जनवरी, 2011 को भू-अर्जन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विभिन्न चरणों पर की जानेवाली कार्रवाई व अर्जित भूमि के मुआवजा भुगतान के लिए समय सीमा निर्धारण के संबंध में निर्देश दिये गये हैं. विभिन्न चरणों में की जानेवाली कार्रवाई की अवधि निर्धारित की गयी है. साथ ही विभाग ने अधिगृहीत जमीन के मुआवजे के भुगतान की भी समय सीमा तैयार कर दी है.