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मांझी बोले, सुरक्षा दो मेरी जान को खतरा

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को कहा कि मेरी जान पर खतरा है. मेरे पूरे परिवार की रेकी चल रही है. कौन कहां आ-जा रहा है, तमाम बातों पर नजर रखी जा रही है. फिर भी डीजीपी और गृह सचिव सीएम नीतीश कुमार के इशारे पर मुङो पूरी सुरक्षा नहीं मुहैया करा […]

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को कहा कि मेरी जान पर खतरा है. मेरे पूरे परिवार की रेकी चल रही है. कौन कहां आ-जा रहा है, तमाम बातों पर नजर रखी जा रही है. फिर भी डीजीपी और गृह सचिव सीएम नीतीश कुमार के इशारे पर मुङो पूरी सुरक्षा नहीं मुहैया करा रहे हैं.

सुरक्षा बढ़ाने के स्थान पर कम की जा रही है. इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे घर की जासूसी करायी गयी थी. इसका कारण 1, अणो मार्ग स्थित सीएम आवास में सभी पुराने कर्मचारियों का ही मौजूद होना है.

जीतन राम मांझी ने बिना नाम बताये कहा कि एक सांसद लगातार मेरे संपर्क में हैं, जो जल्द ही मेरी तरफ आयेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य में प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक स्थित बहुत खराब हो गयी है. इसके मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए. इसकी सिफारिश जल्द ही हम राज्यपाल से करेंगे. जदयू, राजद, सपा समेत छह पार्टियों के विलय को पूर्व सीएम ने महाप्रलय करार देते हुए कहा कि यह पूर्व और पश्चिम का मेल हो रहा है. दो परस्पर विरोधी दल एक हो रहे हैं. लालू अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा सकते हैं. सांप्रदायिकता के नाम पर लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल को गांधी मैदान में पांच लाख लोगों को जुटाऊंगा. विधानसभा चुनाव तक किसी दल के साथ गंठबंधन की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे. चुनाव परिणाम के बाद ‘लाइक माइंडेड’ दलों के साथ समझौता कर सकता हूं.
उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि सरकार कमीशनखोरों और दलालों के लिए काम कर रही है. कुछ मंत्री भी इसमें शामिल हैं. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि चार महीने बाद सत्ता से नीतीश कुमार हटनेवाले हैं. ऐसे में उनके इशारों पर काम करनेवाले अधिकारी सोचें कि उनका क्या होगा. उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के 34 निर्णयों को नकारा नहीं जा सकता. इन्हीं निर्णयों को नीतीश सरकार भी लागू कर रही है. विकास मित्रों को अधिक मानदेय देना और सेवाकाल 60 वर्ष तक करना इसी का हिस्सा है.
नालंदा जिला के नेपुरा गांव की घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रशासन की निरंकुशता और मनमानी का उदाहरण है. 25 अप्रैल तक सरकार कोई एक्शन नहीं लेती है, तो मैं अनशन करूंगा.

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