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बेहतर करने की चाहत कॉलेजों ने भी दिया साथ

पटना. डॉक्टर, इंजीनियर या फिर लीक से हट कर काम करनेवालीं गल्र्स अब कैरियर के नये आयाम बना रही हैं. ये उस दौर से काफी आगे निकल चुकी हैं. जहां कैरियर के लिए बहुत सीमित विकल्प होते थे. मैनेजमेंट जैसे क्षेत्र में ये गल्र्स अपनी प्रतिभा को साबित कर रही हैं. इसका कारण पैसा, बड़ी […]

पटना. डॉक्टर, इंजीनियर या फिर लीक से हट कर काम करनेवालीं गल्र्स अब कैरियर के नये आयाम बना रही हैं. ये उस दौर से काफी आगे निकल चुकी हैं. जहां कैरियर के लिए बहुत सीमित विकल्प होते थे. मैनेजमेंट जैसे क्षेत्र में ये गल्र्स अपनी प्रतिभा को साबित कर रही हैं.

इसका कारण पैसा, बड़ी कंपनियों में अच्छे पोस्ट पर काम के साथ नयी चुनौती को हैंडिल करने की प्रवृत्ति भी मानी जा रही है. मैनेजमेंट में गल्र्स की ज्यादा संख्या के बारे में प्रोफेसर दास कहते हैं, अब धारणाएं बदल रही हैं. पहले लोग केवल शादी तक ही सोचते थे, लेकिन आज स्टडी और जॉब तक सोचते हैं. वहीं अमृतेश कहते हैं, मिडिल क्लास की यह सोच होती है कि वह लड़कियों की शादी कर दे. इस सोच से प्रोफेसर दास भी इत्तेफाक रखते हैं, वह कहते हैं आज के समाज की सोच यह भी है कि अगर लड़की जॉब वाली मिल जायेगी तो दहेज कम देना होगा.

वह कहते हैं, सीआइएमपी गर्ल्‍स को ज्यादा-से-ज्यादा एजुकेट करना चाहता है. इसके लिए स्कॉलरशिप दी जाती है. उद्देश्य यही कि गल्र्स ज्यादा पढ़ने को लेकर उत्साहित हो. उन्होंने कहा कि यह भी देखनेवाली बात है कि इन गल्र्स में शहरों के अनुपात में रिमोट एरिया की स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है. उनकी यह भी सोच होती है कि वह बिहार में ही काम करें. आइएमएस के अमृतेश कहते हैं, मैनेजमेंट के जरूरी ‘कैट’ के एग्जाम में भी गल्र्स को 15 नंबर अतिरिक्त दिये जाते हैं.

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