बाकी के दो में से एक पद तबादला होने से रिक्त हो गया. छह माह पहले एक एमवीआइ का तबादला हो जाने से अब सारी जिम्मेवारी और जवाबदेही बचे हुए एक एमवीआइ के कंधों पर आ गयी है. ऐसे में उनके नहीं रहने पर न तो गाड़ियों की सही ढंग से चेकिंग हो पा रही है और न ही रजिस्ट्रेशन/लाइसेंस आदि के काम सही समय पर हो पा रहे हैं. यही वजह है कि जांच अभियान शिथिल पड़ा हुआ है.
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जिले में मोटर यान निरीक्षकों की भारी कमी, पांच लाख वाहनों पर एक एमवीआइ
पटना: पटना जिले की पांच लाख गाड़ियों की जिम्मेवारी एक मोटर यान निरीक्षक (एमवीआइ) के भरोसे है. यह तथ्य कल्पना से परे नजर आता है, लेकिन पिछले छह माह से राजधानी की यही स्थिति है. जिले में चार मोटर यान निरीक्षक के पद सृजित हैं, बावजूद दो साल से केवल दो एमवीआइ ही काम संभाल […]
पटना: पटना जिले की पांच लाख गाड़ियों की जिम्मेवारी एक मोटर यान निरीक्षक (एमवीआइ) के भरोसे है. यह तथ्य कल्पना से परे नजर आता है, लेकिन पिछले छह माह से राजधानी की यही स्थिति है. जिले में चार मोटर यान निरीक्षक के पद सृजित हैं, बावजूद दो साल से केवल दो एमवीआइ ही काम संभाल रहे हैं. दो पद रिक्त हैं.
पड़ोसी जिलों के भरोसे अभियान
पटना में कोई भी बड़ा विभागीय अभियान पड़ोसी जिलों के भरोसे चलता है. बड़े अभियान को सफलतापूर्वक चलाने के लिए पड़ोसी नालंदा, बक्सर, वैशाली आदि जिलों से एमवीआइ को बुलाना पड़ता है. क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार इसके लिए जिलों से संपर्क करता है. सबसे खास बात यह है कि पटना जिले में वर्ष 2012 के बाद कभी भी चार एमवीआइ की एक साथ पोस्टिंग नहीं हुई है. कभी दो और कभी एक से काम चलाया गया है. हालांकि अब परिवहन प्राधिकार ने इसके लिए पहल की है.
परिवहन विभाग को इस बात की जानकारी दी गयी है कि पटना जिले में एमवीआइ की काफी कमी है. चार की जगह एक एमवीआइ से काम चलाया जा रहा है. इसके कारण काम भी बाधित होता है. हालांकि अभी तक पोस्टिंग नहीं हो पायी है. वे एक बार फिर से इस बाबत पहल करेंगे, ताकि काम सरलता पूर्वक हो सके.
ईश्वरचंद्र सिन्हा, सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (आरटीए)
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