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वाम एकता ही बिहार को दे सकती है नया विकल्प

पटना : विधानसभा चुनाव के पहले वामदलों की एकता विधान परिषद चुनाव में दिखेगी. निकाय आधारित विधान परिषद चुनाव वाम दल मिल कर लड़ेंगे. उक्त निर्णय शुक्रवार को वामदलों की की हुई संयुक्त बैठक में लिया गया. बैठक पटना में भाकपा-माले मुख्यालय में हुई थी. बैठक में भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो […]

पटना : विधानसभा चुनाव के पहले वामदलों की एकता विधान परिषद चुनाव में दिखेगी. निकाय आधारित विधान परिषद चुनाव वाम दल मिल कर लड़ेंगे. उक्त निर्णय शुक्रवार को वामदलों की की हुई संयुक्त बैठक में लिया गया.
बैठक पटना में भाकपा-माले मुख्यालय में हुई थी. बैठक में भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, केडी यादव, सीपीआइ के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, विजय कुमार मिश्र, सीपीआइएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, विजय कांत ठाकुर, अरुण कुमार मिश्र, शिव श्ांकर सिंह और अरुण कुमार आदि शामिल थे.
बैठक में वाम दलों ने न केवल केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की, बल्कि बिहार सरकार को भी घेरने की सलाह दी. बैठक में वाम नेताओं ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश में कंपनी राज थोपना चाहती है. जबरदस्त विरोध के बावजूद केंद्र सरकार दूसरी बार सदन में भूमि अधिग्रहण बिल पेश करना चाह रही है. अध्यादेश में भूमि अधिग्रहण मामले में किसानों की सहमति लने की बात को डिलिट कर दिया गया है. बिहार में इस मामले को ले कर शनिवार को वाम दल पटना के गांधी मैदान में संयुक्त-धरना देंगे.
बैठक में नीतीश सरकार को भी वाम दलों में कटघरे में खड़ा किया. वाम नेताओं ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध का ढोंग कर रही है नीतीश सरकार.
भागलपुर, बेगूसराय, पटना और भोजपुर में किसानों की राय लिये बिना भूमि अधिग्रहण कर ली गयी. अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लागू करने के मामले में बिहार सरकार ने चुप्पी साध रखी है. वाम एकता ही बिहार को नया विकल्प दे सकती है. जनता के सवालों पर वामदल एकजुट हो कर बड़ा आंदोलन करेंगे.

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