पटना: पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को तय कर दिया कि प्रदेश में धान खरीद मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जायेगी. कोर्ट ने अंतिम आदेश जारी करने के पहले सीबीआइ को मानसिक रूप से जांच को तैयार होने के लिए 12 दिनों का समय दिया है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायाधीश शिवाजी पांडेय […]
पटना: पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को तय कर दिया कि प्रदेश में धान खरीद मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी जायेगी. कोर्ट ने अंतिम आदेश जारी करने के पहले सीबीआइ को मानसिक रूप से जांच को तैयार होने के लिए 12 दिनों का समय दिया है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायाधीश शिवाजी पांडेय के खंडपीठ ने कहा कि इतने गंभीर मामले में सीबीआइ को खुद केस टेक अप करने की पहल करनी चाहिए थी.
सुनवाई के दौरान अदालत में सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिन्हा उपस्थित थे. कोर्ट ने श्री सिन्हा से पूछा कि सीबीआइ को इस केस की जांच शुरू करने में क्या दिक्कतें हैं. इस पर सीबीआइ के वकील ने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि केस टेक अप करने के पहले सीबीआइ के अधिकारियों की सहमति जरूरी होगी. 8 इस पर कोर्ट का सवाल था आखिर वह किससे इंस्ट्रक्शन लेना चाहते हैं.
कोर्ट के सवाल पर सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिन्हा ने कहा कि अभी वरिष्ठ अधिकारी बाहर हैं. वह इस मामले पर कम-से-कम ज्वाइंट डायरेक्टर से चर्चा जरूरी समझते हैं. उन्होंने इसके लिए दो सप्ताह का समय देने की मांग की. इस पर कोर्ट ने उनसे जानना चाहा कि यहां सीबीआइ के कितने अधिकारी कार्यरत हैं. धान खरीद का यह मामला बड़ा संगीन है. इसमें सभी जिलों में 546 प्राथमिकी दर्ज की गयी है. कोर्ट ने कहा कि किसानों की धान को एसएफसी और मिलरों ने बंदरबांट कर लिया है. सीबीआइ के वकील के अनुरोध पर उन्हें 12 दिनों की मोहलत दी गयी. अब इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को होगी. इसके पहले प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि अब तक इस मामले में 167 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है.
गौरतलब है कि छह अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि धान खरीद मामले में घोटाले से संबंधित लोकहित याचिका सही है. अदालत को दर्जनों शिकायतें मिल रही हैं. धान खरीद मामले में बड़े पैमाने पर बिचौलिये, राज्य खाद्य निगम व मिलर के बीच सांठ-गांठ है. इसमें 600 करोड़ से ज्यादा गबन की संभावना है. यह आरोप लोकहित याचिका दायरकर्ता ने लगाया, जबकि अदालत का कहना है कि यह हजार करोड़ से भी ज्यादा है. अधिकारी, बिचौलिये व मिलर के सांठगांठ से बगैर धान खरीद किये पैसे निकाल लिये जाते हैं. किसानों का बोनस भी खा जाते हैं. इससे बड़ी संख्या में किसान प्रभावित होते हैं. एसके राय द्वारा दायर लोकहित याचिका पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को बताने के लिए कहा है कि वह इस अनियमितता को रोकने व दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है.