इसका खूब प्रचार-प्रसार भी हुआ. सरकार ने बेल्ट्रॉन के जरिये बिहार स्टेट वाइड नेटवर्क एरिया यानी बी स्वान को पूरे प्रदेश में यह काम भी सौंपा था. प्रदेश के सभी 37 जिलों में यह सेंटर तो बना दिया गया. लेकिन, पटना के हिस्से का सेंटर अब तक नहीं बन सका. राज्य मुख्यालय के नाम से एक सेंटर सचिवालय को मुहैया करा दिया गया, पर पटना जिला प्रशासन को इसका लाभ नहीं मिलता है. ऐसे में विशेष वीसी सेंटर प्रदेश के सभी जिलों में है, लेकिन पटना जिला मुख्यालय में ही नहीं.
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बदहाली: स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वंचित है पटना
पटना: पटना जिला राज्य का मुख्यालय होते हुए भी स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वंचित है. प्रदेश के सभी 37 जिलों में राज्य सरकार का स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सेंटर है. लेकिन, पटना जिले में यह केंद्र अभी तक नहीं बन सका है. राष्ट्रीय सूचना केंद्र के विकल्प में बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर पूरे […]
पटना: पटना जिला राज्य का मुख्यालय होते हुए भी स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वंचित है. प्रदेश के सभी 37 जिलों में राज्य सरकार का स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) सेंटर है. लेकिन, पटना जिले में यह केंद्र अभी तक नहीं बन सका है. राष्ट्रीय सूचना केंद्र के विकल्प में बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर पूरे प्रदेश के सभी जिलों में वीसी सेंटर बनाने की कोशिश की थी.
नहीं हो पाते हैं कई काम
इसके कारण जिले की योजनाओं की ठीक ढंग से मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है और रोजमर्रा के वीसी के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र के वीसी सेंटर पर ही आश्रित रहना पड़ता है. यदि इस दौरान कोई दूसरी बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये करनी होती है, तो फिर अनुमंडल का बेहद छोटा सेंटर ही मददगार होता है, जो कि कारगर नहीं है. अभी हाल ही में प्रशासन ने सभी बीडीओ और सीओ को वीसी के जरिये अटेंडेंस बनाने का आदेश जारी किया था. लेकिन, यह योजना इस वजह से परवान नहीं चढ़ सकी, क्योंकि जिला के पास अपना वीसी सेंटर है ही नहीं.
क्या कहते हैं प्रोजेक्ट हेड?
जब प्रभात खबर ने बी स्वान के प्रोजेक्ट हेड जितेंद्र त्रिपाठी से बात की, तो उन्होंने बताया कि उस समय सरकार के स्तर से यह निर्णय हुआ था कि पटना में जब भी वीसी होगा तो जिलास्तरीय अधिकारियों को सचिवालय ही बुला लिया जायेगा. इस वजह से जिला में केंद्र नहीं बन सका. यदि सरकार कहेगी कि पटना जिला मुख्यालय में भी बनाना है, तो वहां भी बना दिया जायेगा. हमें जहां भी काम दिया गया, हमने उसे लगभग पूरा कर दिया. पटना में एक दो ब्लॉक में हमें स्थानीय अधिकारियों ने सपोर्ट नहीं किया, जिसके कारण मामला अटका हुआ है.
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