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रिसर्च पर दें ध्यान, नाम के अनुरूप करें काम : नीतीश

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को सीएम ने दिया निर्देश विधायकों को भी मिले रिसर्च का लाभ, पुराने सांसद-विधायकों की ली जाये राय पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को रिसर्च पर ध्यान देने का टास्क दिया है. अपने नाम के अनुरूप काम करने […]

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को सीएम ने दिया निर्देश
विधायकों को भी मिले रिसर्च का लाभ, पुराने सांसद-विधायकों की ली जाये राय
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को रिसर्च पर ध्यान देने का टास्क दिया है. अपने नाम के अनुरूप काम करने की नसीहत भी दी है. शुक्रवार को उन्होंने संस्थान के नये सभागार का उद्घाटन और प्रो नलिन विलोचन शर्मा की लिखी पुस्तक ‘जगजीवन राम-ए बायोग्राफी’ का विमोचन किया. समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि संसदीय प्रणाली की जानकारी सहज रूप से दी जानी चाहिए, ताकि लोगों को इसमें दिलचस्पी और अभिरुचि पैदा हो. मनुष्य की प्रवृत्ति सीखने की होती है. अनुभव से ज्यादा बड़ी शिक्षा नहीं होती है.
प्लेन फैक्ट डालें : जमीन अधिग्रहण कानून में क्या था ? क्या मांग हो रही है? उसके बारे में बताये, अपनी राय न दें. इसमें प्लेन फैक्ट को डाले. ऐसा नहीं होगा तो सब लोग उसे नहीं लेंगे. लोगों को बिहार के गौरवपूर्ण ऐतिहासिक जमीन की स्थिति के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में कई आंदोलन हुए. लोकनायक जय प्रकाश आंदोलन का बिहार समेत देश के दूसरे हिस्सों में क्या प्रभाव पड़ा, इस पर भी शोध किया जा सकता है.
इस संस्थान से जो सूचना जाये उसमें विश्वसनीयता होनी चाहिए. सही इन्फॉर्मेशन मिले और उसकी ब्रांडिंग रहे तो लोगों में इसके प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए लोगों को आकृष्ट करना होगा, इनवोल्व करना होगा. पुराने सांसद-विधायकों को बुलाये और उनकी राय लें.
कार्ययोजना बनाएं: संस्थान लोगों से परामर्श लेकर अपनी कार्ययोजना बनाये. संस्थान बना है तो इसे आर्थिक अधिकार भी देना होगा. नाम के अनुरूप संस्थान काम करे और आद्री व एएन सिन्हा इंस्टीटय़ूट से सीख ले. बिहार में फिलहाल दो ही संस्थान आद्री व एएन सिन्हा इंस्टीटय़ूट शोध कार्य में लगे हैं. शोध के लिए तीसरे संस्थान के रूप में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को विकसित किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘जगजीवन राम – ए बायोग्राफी’ पुस्तक का हिंदी में भी अनुवाद होना चाहिए, लेकिन इसकी मूल भावना को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए.
मौके पर खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक, भवन निर्माण मंत्री दामोदर राउत, आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता, विधान पार्षद डॉ राम वचन राय, वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी, पूर्व विधान पार्षद प्रेम कुमार मणि, साहित्यकार व वरिष्ठ पत्रकार जुगनू शारदेय और संस्थान के निदेशक श्रीकांत मौजूद थे. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन व सीएम के सचिव चंचल कुमार मौजूद थे.
संसदीय प्रणाली पर हो शोध
संसदीय प्रणाली दुनिया में कैसे चल रही है, इन सब बातों के लिए शोध की जरूरत है. इस संस्थान को पुनर्जीवित करने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में बिहारवासियों की जो भूमिका रही है, उसकी उतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी. इन सब पर इस संस्थान के जरिये शोध कराया जाना चाहिए. संसदीय प्रणाली की जानकारी आज के विधायकों को हम सहज रूप से किस प्रकार दे पायेंगे इस पर भी शोध की आवश्यकता है. इसके लिए लोगों को अलग-अलग ढंग से आकृष्ट करना होगा. अनेक लोगों ने बहुत सारे काम किये हैं. उनको इस संस्थान से जोड़िए. देश व दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है उसके बारे में सारी जानकारियां लें.
शैबाल गुप्ता ने दिये सुझाव
संसदीय डिबेट होना चाहिए कंप्यूटराइज
आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने कहा कि जगजीवन राम संसदीय अध्ययन व राजनीतिक शोध संस्थान को संसदीय डिबेट का कंप्यूटराइजेशन करना चाहिए. साथ ही संस्थान अपना एजेंडा बना ले. क्या करना है और क्या नहीं करना है यह पहले से ही तय है. संस्थान में ट्रेनिंग प्रोग्राम बिहार फाउंडेशन कोर्स होना चाहिए. जो सांसद व विधायक जीत कर आ रहे हैं उन्हें बताया जाना चाहिए कि सदन में कैसे मुद्दे उठाने हैं , क्या मुद्दे उठा सकते हैं? इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार भी शामिल हों. संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने संस्थान की उपलब्धियों व कार्ययोजना के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा संस्थान पूरे उत्तर भारत में एक है. इसे दूसरे राज्यों में भी विकसित करना चाहिए. छह, नौ व 12 महीने के लिए फेलोशिप पर काम होना चाहिए. साथ ही संसदीय राजनीति की ट्रेनिंग-फीडबैक के लिए ज्वलंत मुद्दों पर बात कर सकते हैं.

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