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डेढ़ माह दवा का और करो इंतजार
बाहर से दवा खरीदने को विवश मरीज, अस्पतालों को 15 हजार तक की ही दवा खरीदने की अनुमति पटना : सूबे के अस्पतालों में दवा की कमी को लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक प्रदर्शन के बावजूद अस्पतालों में 15 मई के बाद ही दवा पहुंचने की उम्मीद है. वजह बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर […]
बाहर से दवा खरीदने को विवश मरीज, अस्पतालों को 15 हजार तक की ही दवा खरीदने की अनुमति
पटना : सूबे के अस्पतालों में दवा की कमी को लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक प्रदर्शन के बावजूद अस्पतालों में 15 मई के बाद ही दवा पहुंचने की उम्मीद है. वजह बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) की ओर से दवा खरीद की प्रक्रिया पूरी नहीं होनी है.
स्वास्थ्य विभाग ने दवाओं की किल्लत दूर करने के लिए सिविल सजर्न,अधीक्षक व अस्पताल निदेशक को लोकल स्तर पर दवा खरीदने का निर्देश दिया है. जब दवा खरीदने की बात आती है,तो कोशिश के बाद भी अस्पताल प्रशासन महज 15 हजार रुपये की दवा खरीद पाता है. अगर इससे अधिक राशि की दवा खरीदने की जरूरत पड़ती है,तो उसके लिए कमेटी की सहमति अनिवार्य है.
कमेटी में शामिल होने के लिए एक भी डॉक्टर तैयार नहीं हैं. दूसरी ओर कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनकी दवा चाह कर भी अस्पताल प्रशासन नहीं खरीद सकता है. इस कारण से हीमोफीलिया व एंटी रेबिज लेने वाले परेशान हो रहे हैं. बिहार के मेडिकल कॉलेज में हीमोफीलिया फैक्टर 8 व 9 खत्म है, जिसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से दो माह पहले ही बीएमएसआइसीएल को पत्र लिख गया है,लेकिन दवा की सप्लाइ अभी तक नहीं हो सकी है.
पीएमसीएच ओपीडी में 12 व इंडोर में 25 दवाइयां ही
सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में दवा की किल्लत की बात करें,तो शुक्रवार को ओपीडी में 12 और इंडोर में 25 दवाइयां ही उपलब्ध है. इस कारण मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है. सरकार की योजना के मुताबिक ओपीडी में कम से कम 42 और इंडोर मरीजों के लिए 122 दवाइयां होनी चाहिए. पिछले दो माह से ओपीडी व इंडोर में दवाई की कमी है.
जिला अस्पतालों में दवा के नाम पर कुछ नहीं
दवा के लिए छह बार ऑर्डर भेजा गया है. दवा नहीं देंगे,तो अस्पताल कैसे चलेगा. मरीजों को देने के लिए कुछ दवा ही बची है. घटना शुक्रवार की है जब न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक बीएमएसआइसीएल के किसी कर्मचारी को दवा के लिए फोन पर रिमाइंडर दे रहे थे. जब अस्पताल के भंडार की जानकारी ली गयी,तो इंचार्ज ने दवा की विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया. हालांकि बताया कि बुखार,दर्द व गैस की दवा बची है. अगर इन दवाओं की सप्लाइ भी एक सप्ताह में नहीं हुई, तो अस्पतालों से दवा गायब हो जायेगी.
जिम्मेवार क्या बोले
सूबे के मेडिकल कॉलेजों में 15 मई के बाद ही दवा पहुंच पायेगी. दवा को लेकर सोमवार को टेक्निकल बीड और उसके बाद फाइनांसियल बीड होगा. अस्पतालों में दवा तब तक नहीं भेजी जायेगी जब तक दवा की जांच निगम नहीं कर लेगा. पिछली बार बिना दवा की जांच किये भेजने के कारण ही नकली दवा का मामला सामने आया था.
डीके शुक्ला, एमडी,बीएमएसआइसीएल
सप्लाइ नहीं होने से अस्पतालों में दवा की कमी है. लोकल स्तर पर भी दवा की खरीद हो रही है. अगर बीएमएसआइसीएल से अप्रैल में भी दवा नहीं मिली,तो परेशानी बढ़ जायेगी. लेकिन दवाओं की कमी नहीं हो इसके लिए 15 हजार तक की दवा लोकल स्तर पर खरीदी जायेगी. लोकल स्तर पर कमेटी बना कर एक लाख तक की दवा की खरीद हो सकती है.
डॉ के.के. मिश्र, सिविल सजर्न
हीमोफीलिया का फैक्टर तीन माह से खत्म है. बीएमएसआइसीएल को पत्र लिखा गया है. महंगी दवा होने के कारण खरीद लोकल स्तर पर नहीं हो सकती है. ओपीडी में भी 12 दवाई ही बची है. अगर 15 दिनों में दवा नहीं आयी, तो अस्पताल में हंगामा बढ़ जायेगा. ऐसे ही मरीजों को लगता है कि दवा रहते हुए डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक,पीएमसीएच
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