पटना: राज्य के चार सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों (बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा व बक्सर) में कई सालों से नामांकन ठप है. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, बेगूसराय में केंद्रीय चिकित्सा परिषद ने 2008-09 में नामांकन पर रोक लगा रखी है. चारों कॉलेजों की अलग-अलग समस्या है, लेकिन शिक्षकों की कमी सभी जगह है. बंद पड़े कॉलेजों में हर साल 104 छात्रों के नामांकन की क्षमता है. एकमात्र राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना है, जहां 40 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया चल रही है.
कहां-क्या है दिक्कत : सूत्र बताते हैं कि आयुर्वेदिक कॉलेज के 14 विभागों में प्राध्यापक के पद सृजित नहीं हैं. केंद्रीय चिकित्सा परिषद ने भी 60 प्राध्यापकों के पदों के सृजन की अनुसंशा की है. बेगूसराय कॉलेज के प्राचार्य डॉ विनोद पाठक ने बताया कि पद सृजन को लेकर विभाग को चार पत्र भेज चुके हैं. पद सृजन की कार्रवाई का आरंभ निदेशालय से होता है.
इसकी संचिका पर सामान्य प्रशासन व वित्त विभाग, विधि विभाग से अनुमति लेनी होगी. अभी तक संचिका विभाग से आगे ही नहीं बढ़ी है. शिक्षकों के अलावा हर आयुव्रेदिक कॉलेज की अलग समस्या है. आयुव्रेदिक कॉलेज, बेगूसराय में पहले अस्पताल का भवन नहीं था. जब भवन का निर्माण हुआ, तो कर्मचारी नहीं हैं. 100 बेड के अस्पताल के लिए 66 पारा मेडिकल कर्मचारियों की जरूरत है. इसमें यहां महज छह कंपाउंडर कार्यरत हैं.
बक्सर आयुव्रेदिक कॉलेज में जमीन है, पर अस्पताल व कॉलेज के लिए पर्याप्त भवन नहीं हैं. भागलपुर आयुव्रेदिक कॉलेज में जमीन है, पर क्लास रूम के लिए भवन नहीं है. दरभंगा आयुव्रेदिक कॉलेज में पर्याप्त संख्या में स्टाफ नहीं है.