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छह माह का कार्यकाल बचा तो याद आये उद्यमी: मोदी
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि साढ़े नौ साल बाद जब सरकार का कार्यकाल मात्र छह माह बचा है, तो नीतीश कुमार को बिहार के युवा उद्यमियों की याद आयी है. युवा उद्यमिता को बढ़ावा देने को एक्शन प्लान के लिए त्रि-सदस्यीय समिति बनाने का एलान कर रहे हैं. कुमार बताएं […]
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि साढ़े नौ साल बाद जब सरकार का कार्यकाल मात्र छह माह बचा है, तो नीतीश कुमार को बिहार के युवा उद्यमियों की याद आयी है. युवा उद्यमिता को बढ़ावा देने को एक्शन प्लान के लिए त्रि-सदस्यीय समिति बनाने का एलान कर रहे हैं. कुमार बताएं कि जिस लालू यादव के नाम से ही उद्यमी और निवेशक कांपते हैं, उनसे हाथ मिलाने के बाद बिहार में उद्यमिता को कैसे बढ़ावा देंगे?
एक ओर उद्यमियों को बिहार आकर उद्योग लगाने की अपील कर रहे हैं, दूसरी ओर नरेंन्द्र मोदी की केंद्र सरकार जब रोजगार सृजन के लिए सुधारात्मक कदम उठा रही है, तो बिहार में उसका विरोध कर रहे हैं. मोदी ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि वे बताएं कि भाजपा से गंठबंधन टूटने के बाद के 22 महीनों में बिहार में कितने उद्योग लगे और कितना निवेश हुआ है? पिछले 22 महीने में बढ़ते अपराध और राजनीतिक अस्थिरता के कारण यहां न कोई महत्वपूर्ण उद्योग लगा है और न ही कोई बड़ा निवेश हुआ है. उन्हें बताना होगा कि उद्योगों के लिए जमीन का अधिग्रहण क्यों नहीं हो पाया? एक भी औद्योगिक प्रांगण विकसित क्यों नहीं हो पाया? बियाडा की जमीन की कीमत में 136 गुना वृद्धि क्यों कर दी गई?
क्या यह सच नहीं है कि इन्फोसिस, नेस्ले, केवेंटर और सेन्चुरी जैसी बड़ी कंपनियां जमीन के अभाव में ही बिहार से वापस लौट गयी? क्या भागलपुर के कहलगांव में लगनेवाले मेगा फूड पार्क और मेगा टेक्सटाइल पार्क को जमीन उपलब्ध नहीं कराने के कारण ही केंद्र सरकार ने रद्द नहीं कर दिया? बिहार में एक मात्र चावल उद्योग लगा, मगर अधिकतर मिलों पर सर्टिफिकेट केस कर दिया गया है.
क्या सिंगल विंडो स्कीम के बावजूद उद्यमियों को सरकार के 28 दरवाजे नहीं खटखटाने पड़ते हैं? नीतीश कुमार बताएं कि प्रत्येक जिले में 300 से 500 एकड़ का लैंड बैंक बनाने, ‘आओ बिहार योजना’, 10 नए निजी औद्योगिक प्रांगण बनाने और एक्जिट पॉलिसी आदि पूरी तरह विफल क्यों हो गयी? मध्य बिहार से हो कर गुजरनेवाले अमृतसर-दिल्ली-पटना-कोलकाता औद्योगिक गलियारा से लाभ लेने के लिए बिहार में कोई तैयारी क्यों नहीं की गयी? हकीकत है कि लालू यादव के सहयोग से चल रही सरकार में सुशासन तार-तार हो गया है.
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