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विधानमंडल सत्र : केंद्र ने नहीं भेजा 49 लाख लोगों का आवंटन : रजक

विधानमंडल सत्र : खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत ‘अनाज आवंटन’ पर हंगामा विधानसभा में खाद्य सुरक्षा को ले केंद्र से आवंटन पर सरकार, तो विपक्ष चर्चा कराने पर अड़ी पटना : खाद्य सुरक्षा के तहत बिहार के 49 लाख लोगों के लिए केंद्र सरकार ने आवंटन नहीं भेजा है. अब सरकार की समस्या इतनी बड़ी आबादी […]

विधानमंडल सत्र : खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत ‘अनाज आवंटन’ पर हंगामा
विधानसभा में खाद्य सुरक्षा को ले केंद्र से आवंटन पर सरकार, तो विपक्ष चर्चा कराने पर अड़ी
पटना : खाद्य सुरक्षा के तहत बिहार के 49 लाख लोगों के लिए केंद्र सरकार ने आवंटन नहीं भेजा है. अब सरकार की समस्या इतनी बड़ी आबादी को अनाज उपलब्ध कराने की है. सरकार ने इन सबको राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया है.
विधानसभा में गुरुवार को केंद्र से आवंटन को लेकर हंगामा हुआ. खाद्य उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक ने कहा कि केंद्र सरकार अनाज का आवंटन नहीं कर रही. वहीं, विपक्ष इस मामले पर सदन में सभी सदस्यों के क्षेत्र की समस्या पर चर्चा कराने की मांग करता रहा. डॉ अच्युतानंद के तारांकित प्रश्न के जवाब में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक घिर गये. अच्युतानंद ने कहा कि वैशाली जिला के जंदाहा व महनार प्रखंड की 70 फीसदी आबादी खाद्य सुरक्षा अधिकार से वंचित है.
इसके जवाब में श्री रजक ने पूरे राज्य के उपभोक्ताओं का हवाला देते हुए बताया कि केंद्र सरकार से अनाज की आपूर्ति होती है. इसके लिए दो पत्र भेजा गया था, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी आश्वासन दिया था कि दिल्ली पहुंचने के बाद आवंटन भेज दिया जायेगा. अभी तक 49 लाख लोगों का आवंटन नहीं आया है. राशन कार्ड दे दिया गया और आवंटन नहीं आया है. उन्होंने बताया कि बिहार पहला ऐसा राज्य है, जहां पर सामाजिक-आर्थिक जनगणना की सूची को अपलोड कर दिया गया है. उन्होंने विपक्ष के नेता से कहा कि वह केंद्र को सुझाव दे कि बिहार के आवंटन को जारी करे. मंत्री को विपक्ष के सवालों से घिरते देख विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कहा गया कि सवाल जनदाहा व महनार को लेकर पूछा गया है. आप पूरे राज्य का जवाब दे रहे हैं.
मंत्री के जवाब के लिए विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने उनको धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने इस विषय को राज्य का विषय बना दिया. सरकार को बात-बात पर दिल्ली का हवाला देने की बीमारी हो गयी है. उन्होंने आरोप लगाया कि अभी तक आवेदनों का निबटारा नहीं किया गया है. गरीबों के निवाले का सवाल है. उन्होंने सरकार से पूछा कि इसमें कई तरह की समस्याएं हैं. मंत्री कह रहे हैं कि अनाज का सौ फीसदी उठाव हो रहा है. अगर ऐसा है तो गरीबों को अनाज क्यों नहीं मिल रहा है. जिनको मिल रहा वह समय पर नहीं और दाम से अधिक मूल्य पर. उनका सुझाव था कि इस विषय पर सभी सदस्यों की राय जान ली जाये, उसके बाद कोई निर्णय लिया जाये.
इधर कांग्रेस के सदानंद सिंह ने सुझाव दिया कि विधानसभा अध्यक्ष अपने अधीन सभी दलीय नेताओं की बैठक बुला कर इसका रास्ता निकाले. इस पर आसन की ओर सर्वदलीय कमेटी बना कर दिल्ली से बात करने का नियमन दिया गया. बाद में आसन की ओर से कहा गया कि सदानंद सिंह द्वारा दिया गया प्रस्ताव को विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 43 के तहत विषय को लाया जाये तो सरकार उस पर चर्चा करायेगी. इधर जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने सुझाव दिया कि अध्यक्ष सभी दलीय नेताओं की बैठक बुला कर समस्या को चिह्न्ति कर केंद्र सरकार से बात करे.
पहले जितनी हिस्सेदारी केंद्र से नहीं मिल रही
पटना : बिहार को केंद्र से जो हिस्सा मिलता था, आज भी लगभग उतना ही मिल रहा है. बिहार आज भी केंद्रीय मदद के मामले में वहीं का वहीं खड़ा है. बिहार के लिए जो हिस्सेदारी केंद्र से तय होती है, वह भी नहीं मिल रही. 13 वें वित्त आयोग ने बिहार के लिए 42,861 हजार करोड़ की हिस्सेदारी तय की थी, मिला महज 40,381 हजार करोड़. यानी बिहार के हिस्से में 12 हजार करोड़ की कटौती की गयी. सिर्फ योजना मद में छह हजार करोड़ की कटौती की गयी. उक्त बातें गुरुवार को विधानसभा में वित्त मंत्री विजेंद्र यादव ने कही. वे वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट पर बोल रहे थे.
वित्त मंत्री के भाषण से असंतुष्ट भाजपा विधायक सदन से वाक आउट कर गये. विजेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि बिहार में कृषि, शिक्षा और मिड-डे-मिल सहित आठ योजनाओं पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. केंद्र ने बीआरजीएफ में कटौती की. बिहार के साथ केंद्र द्वारा किये जा रहे भेद-भाव के मुद्दे पर सरकार सर्वदलीय बैठक बुलायेगी और बात करेगी. उन्होंने कहा कि बजट से हम शानदार बिहार बनायेंगे. बजट प्रस्ताव में जो कमियां रह गयी हैं, उसे हम सप्लीमेंट्री के माध्यम से दूर करेंगे.
शून्यकाल में विपक्ष का हंगामा, स्थगित
पटना. विधानसभा में शून्यकाल में विपक्ष की ओर से हंगामा किया गया. अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दिन के दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. विपक्ष के सदस्य सांख्यिकी स्वयंसेवकों की नियुक्ति व वित्त रहित शिक्षकों की बहाली को लेकर सरकार से जवाब मांग रहे थे. इस विषय को लेकर भाजपा के प्रेम कुमार और तारकिशोर प्रसाद द्वारा कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया था. वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट पर चर्चा को लेकर अध्यक्ष ने विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य कर दिया गया.
इसको लेकर भाजपा के अधिसंख्य सदस्य वेल में आ क र हंगामा करने लगे. विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि लाखों शिक्षक और हजारों की संख्या में सांख्यिकी स्वयं सेवक धरना पर बैठे हैं. इसके कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.
संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विरोधी दल के नेता विधानसभा को धरना स्थल बनाना चाहते हैं. हंगामे के बीच बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगूलेटरी कमीशन की वित्तीय वर्ष 2011-12 व 2012-13 की संयुक्त वार्षिक रिपोर्ट पेश की गयी.इसके अलावा खान एवं भूतत्व की ओर से बिहार खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण निवारण)(संशोधन) नियमावली 2014 की सदन पटल पर रखा गया. उधर पत्रकारों से बातचीत में विपक्ष ने नेता नंद किशोर यादव ने बताया कि सरकार वित्त रहित शिक्षा को लेकर घोषणा करती है. कैबिनेट में निर्णय लेती है. जब उसके कार्यान्वयन की बात आती है तो समाधान नहीं करती. माध्यमिक, इंटर व डिग्री के वित्त रहित शिक्षकों को 2010 से अनुदान नहीं दिया जा रहा है. सरकार पूर्व की घोषणा से पलट गयी है.
राज्य में आठ हजार पंचायतों में हाइस्कूल की स्थापना की जानी है. सरकार के पास 2937 हाइस्कूल हैं. 2394 मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर हाइ स्कूल का दर्जा दिया गया है. तीन हजार हाइस्कूलों की आवश्यकता है. राज्य में 715 वित्त रहित माध्यमिक विद्यलय हैं. सरकार उनको अधिग्रहित कर लेती है तो न जमीन न मकान की आवश्यकता होगी. उन्होंने बताया कि राज्य में साढ़े तीन लाख शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं.
अलग-अलग राज्यों में नियोजित शिक्षकों को वेतनमान भी मिलता है. सरकार ने मुखदेव सिंह और राजीव रंजन को उत्तरप्रदेश और ओड़िसा का अध्ययन भी कराया है. अन्य राज्यों में नियोजित शिक्षकों को ग्रेड पे दिया जाता है. सरकार रिपोर्ट लेने के बाद भी उसका कार्यान्वयन नहीं कर रही है. इन शिक्षकों का कसूर है कि उन लोगों ने जदयू के मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाया था.
तीसरा मुद्दा सांख्यिकी स्वयंसेवकों का हैो 75 हजार सांख्यिकी स्वयंसेवकों को एसी-डीसी बिल के समायोजन के लिए बहाल किया ग या था. जब 96 फीसदी बिल का समायोजन हो गया तो सरकार उनकी नियमित नियुक्ति में उम्र व अनुभव को वेटेज दे. इसकी जगह सरकार 12 माह की संविदा को घटाकर 11 माह कर दिया गया है. सरकार इन तीन संवर्ग के कर्मियों के समाधान का रास्ता निकाले.

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