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छह माह में नहीं लगाया प्लांट तो जमीन वापस

हाइकोर्ट को फैसलाबियाडा को जमीन आवंटन रद्द करने का अधिकारविधि संवाददाता.पटनापटना हाइकोर्ट ने कहा है कि यदि उद्यमी बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी (बियाडा) की जमीन पर आवंटन के छह महीने के भीतर प्लांट नहीं लगाया तो जमीन का आवंटन रद्द हो जायेगा. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश विकास जैन के खंडपीठ ने […]

हाइकोर्ट को फैसलाबियाडा को जमीन आवंटन रद्द करने का अधिकारविधि संवाददाता.पटनापटना हाइकोर्ट ने कहा है कि यदि उद्यमी बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी (बियाडा) की जमीन पर आवंटन के छह महीने के भीतर प्लांट नहीं लगाया तो जमीन का आवंटन रद्द हो जायेगा. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश विकास जैन के खंडपीठ ने बुधवार को बियाडा की अपील याचिका पर फैसला देते हुए एकलपीठ के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि आवंटित जमीन पर छह महीने के भीतर प्लांट लगाने और उत्पादन शुरू नहीं करने पर आवंटियों को इसकी जानकारी बियाडा को देनी होगी. बियाडा को अधिकार होगा कि वह जमीन आवंटन खारिज कर दे. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस काम के लिए जमीन का आवंटन हुआ, यदि उस काम के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा हो, तो इसकी भी जानकारी बियाडा को देना अनिवार्य होगा. बियाडा को इस पर एक महीने के भीतर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. क्या है मामला2006-07 में बियाडा नेप्रबंध निदेशक के स्तर पर 107 आवंटितयों का आवंटन इसलिए रद्द कर दिया था कि उनलोगों ने छह महीने के बाद भी कोई प्लांट नहीं लगाया था या योजना डायवर्ट कर लिया था. प्रभावित आवंटियों ने बियाडा के इस निर्णय के खिलाफ पटना हाइकोर्र्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट के एकलपीठ ने कहा कि आवंटन रद्द करने का अधिकार एमडी को नहीं, बल्कि शासीनिकाय को है. इस पर बियाडा ने पुनर्विचार याचिका दायर की. इसी याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

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