पटना. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि बिहार के अस्पतालों में दवाओं का घोर अभाव है. जुलाई, 2014 में दवा घोटाला उजागर होने के बाद दवाओं की खरीद पूरी तरह से बंद है. बीएमएसआइसीएल को दवा खरीदने के लिए सरकार ने अधिकृत संस्था बनायी थी, लेकिन दवा खरीद से पहले ही घोटाला उजागर हो गया. बावजूद इसके दवा खरीदने का अभी तक उसी कंपनी को अधिकार हैं. विधानसभा स्थित अपने कक्ष में उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया था कि टेंडर निकाल कर वे कुछ दवाओं की खरीद कर सकते हैं, लेकिन अभी तक एक भी जिले में दवा की सप्लाइ नहीं हुई. 21 जिलों में टेंडर हुआ है, लेकिन 17 जिलों में तो टेंडर भी नहीं निकाले गये हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अस्पतालों के ओपीडी में 33 और इंडोर में 112 दवाएं मुफ्त में दी जानी थी, लेकिन ओपीडी में तीन-पांच, इंडोर में 8-10 दवाएं ही दी जा रही हैं. यही हाल मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में भी है. ओपीडी में 66 में से 18 और इंडोर के 120 में 40-45 दवाएं ही उपलब्ध हैं. इन जगहों पर कोई भी एंटी बायोटिक, पारा सिटामोल, कफशिरप, दर्द निवारक, एंटी फंगस दवा, रूई बैंडेज, गौज समेत अन्य दवाएं नहीं हैं. मरीजों को बाहर से खरीद कर इन दवाओं को लाना पड़ रहा है. जो दवाएं बची हैं, वह भी एक्सपायरी होने के कगार पर है. उन्होंने कहा दिसंबर 2013 में पीएमसीएच ओपीडी में 36 हजार मरीज आये थे, बाकी 2014 में आंकड़ा 22 हजार हो गया है. दवाओं की कमी के कारण ऐसा हो रहा है. बिहार के मरीजों को सरकार जिस हाल में छोड़ रही है वह चिंता का विषय है. सदन के अंदर मंत्री श्रवण कुमार ने इस विषय को डायवर्ट करने की कोशिश की, ताकि सरकार की विफलता का पता ना चल जाये.
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अस्पतालों में दवाओं की कमी, नहीं हो रही खरीदारी : नंदकिशोर
पटना. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि बिहार के अस्पतालों में दवाओं का घोर अभाव है. जुलाई, 2014 में दवा घोटाला उजागर होने के बाद दवाओं की खरीद पूरी तरह से बंद है. बीएमएसआइसीएल को दवा खरीदने के लिए सरकार ने अधिकृत संस्था बनायी थी, लेकिन दवा खरीद से पहले ही घोटाला उजागर हो […]
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