पटना. बादशाह साम्राज्य का नौकर होता है. उसे साम्राज्य की चिंता होनी चाहिए. कुरसी या पावर मिलने के बाद कभी घमंड नहीं करना चाहिए. हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए. यह बातें पटना कॉलेज के पूर्ववर्त्ती छात्र (1957-1959) व पद्मश्री गजेंद्र नारायण सिंह ने कही. मौका था पटना कॉलेज में मंगलवार को कॉलेज के सेमिनार हॉल में ‘बिहार की संगीत परंपरा’ विषय पर व्याख्यान व गजेंद्र नारायण सिंह के सम्मान समारोह का. अपने छात्र जीवन को याद करते हुए उन्होंने बिहार की संगीत परंपरा पर लगभग एक घंटे तक व्याख्यान दिया. बेतिया, डुमरांव, दरभंगा के साथ अजीमाबाद घराने से जुड़े एक-से-एक प्रसिद्ध संगीतज्ञों की चर्चा करते कहा कि वह परंपरा अभी भी मरी नहीं है. जरूरत इसे पल्लवित-पुष्पित करने की. कला-संस्कृति के क्षेत्र में बिहार की मिट्टी को रत्नगर्भा करार देते हुए उन्होंने सरकार की उपेक्षा की भी चर्चा की. कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो नवल किशोर चौधरी ने की. उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉलेज के समृद्ध इतिहास की चर्चा करते हुए आज की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. इस अवसर पर पटना कॉलेज के अंगरेजी विभाग के प्रो अरुण कमल ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. मंच संचालन हिंदी विभाग के प्रो तरूण कुमार व धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो शरदेंदु कुमार ने दिया. इस मौके पर पटना कॉलेज के पूर्ववर्त्ती छात्र सत्यनारायण विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे. मौके पर कॉलेज के सभी टीचर, स्टूडेंट्स व कर्मचारियों के साथ शहर के अन्य कला प्रेमी मौजूद थे.
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बादशाह साम्राज्य का नौकर होता है
पटना. बादशाह साम्राज्य का नौकर होता है. उसे साम्राज्य की चिंता होनी चाहिए. कुरसी या पावर मिलने के बाद कभी घमंड नहीं करना चाहिए. हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए. यह बातें पटना कॉलेज के पूर्ववर्त्ती छात्र (1957-1959) व पद्मश्री गजेंद्र नारायण सिंह ने कही. मौका था पटना कॉलेज में मंगलवार को […]
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