पटना: राज्य सूचना आयुक्त के जाली दस्तखत से मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड के बीडीओ विमल कुमार झा पर लगा जुर्माना माफी का मामला पुलिस के पास पहुंच गया है. राज्य सूचना आयोग की ओर से मंगलवार को सचिवालय थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. प्राथमिकी की पुष्टि मुख्य सूचना […]
पटना: राज्य सूचना आयुक्त के जाली दस्तखत से मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड के बीडीओ विमल कुमार झा पर लगा जुर्माना माफी का मामला पुलिस के पास पहुंच गया है. राज्य सूचना आयोग की ओर से मंगलवार को सचिवालय थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
प्राथमिकी की पुष्टि मुख्य सूचना आयुक्त अशोक कुमार सिन्हा ने की. मुख्य सूचना आयुक्त ने बताया कि राज्य सूचना आयुक्त बीके वर्मा के कोर्ट का यह मामला है. किसी ने उनके दस्तखत कर सूचना नहीं देने के आरोपित बीडीओ पर लगे जुर्माना की राशि को माफ कर दिया.
जब यह मामला आयोग के समक्ष आया तो मुख्य सूचना आयुक्त ने इसकी जांच का जिम्मा दूसरे सूचना आयुक्त को सौंप दी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि सूचना आयुक्त बीके वर्मा के जाली दस्तखत कर आरोपी बीडीओ को बचाने की कोशिश की गयी है. इसके खिलाफ मंगलवार को आयोग की ओर से प्राथमिकी दर्ज करायी. सचिवालय थानाध्यक्ष अमरेंद्र झा ने बताया कि प्राथमिकी में एक कंप्यूटर ऑपरेटर पर शक जाहिर किया गया है.
क्या है मामला
सूचना आयुक्त बीके वर्मा की कोर्ट ने मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड के बीडीओ विमल कुमार झा पर सूचना नहीं देने के मामले में 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. इसके साथ ही आरोपी बीडीओ पर आवेदक को हर्जाने के रूप में 20 हजार रुपये दिये जाने के आदेश जारी किये गये थे. फैसला सुनाये जाने के बाद सूचना आयोग ने फाइल बंद कर दिया. कुछ दिन बाद आरोपित बीडीओ को जुर्माना और हर्जाने की राशि जमा कराने को लेकर बार बार रिमांइडर दिया गया तो उधर से कोई सुनवाई नहीं हुई. इधर, अचानक तीन मार्च को सूचना आयोग के पास एक चिटठी आयी जिसमें कहा गया था कि सूचना आयोग ने अपने छह फरवरी के आदेश में बीडीओ पर लगे जुर्माना और हर्जाना को वापस ले लिया गया. इस पत्र के मिलने से आयोग में हड़कंप मच गया और मुख्य सूचना आयुक्त ने इसके जांच के आदेश दिये. जांच में आरोप सही पाया गया.