संवाददाता, पटनाशिक्षा का अधिकार क्या है. यह क्यों और किसके लिए जरूरी है. इन सारी बातों की जानकारी आज से कलाकारों द्वारा दी जायेगी. गीत-संगीत और नृत्यों के जरिये अब गांव-गांव जाकर सांस्कृतिक कारवां लोगों को जागरूक करेगी. जन शिक्षा निदेशालय द्वारा महादलित, अल्पसंख्यक व अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना की शुरुआत शनिवार से की जा रही है. इसके जरिये पूरे बिहार भर में ‘ साक्षरता एवं समावेशी विकास ‘ के लिए सांस्कृतिक कारवां का आयोजन किया गया है. इसकी शुरुआत 28 फरवरी को विज्ञान दिवस से की जा रही है.77 टीम करेगी काम : इसके लिए पूरे जिले में कुल 77 टीम बनायी गयी है. प्रत्येक टीम में कुल 12 कलाकार हैं. इनमें चार महिला और आठ पुरुष कलाकारों द्वारा प्रतिदिन तीन पंचायतों में कला के जरिये जागरूक किया जायेगा. इसमें शिक्षा, भोजन, सूचना व मौलिक अधिकारों के प्रति लोगों को जानकारी दी जानी है. साथ ही शिक्षा क्यों जरूरी है. स्कूली शिक्षा पर जोर देने व लैंगिंग समानता विषय पर कलाकारों द्वारा नृत्य संगीत की प्रस्तुति दी जायेगी. इसमें 150 पंचायत वाले 12 जिले की अलग से सूची तैयार की गयी हैं. वहीं 250 पंचायतों वाले 16 जिलों व 250 से 327 पंचायतों वाले 12 जिलों की सूची बनायी गयी है, जहां सांस्कृतिक कारवां नामक कार्यक्रम किया जाना है. कोटलगभग डेढ़ करोड़ की बजट से कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गयी है. इसकी शुरुआत विज्ञान दिवस से की जा रही है. लिए कलाकारों को ड्रेस व पोस्टर मुहैया कराये गये हैं. इससे लोगों को शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों से जोड़ा जाना है. मोहम्मद गालिब, निदेशक, जन शिक्षा निदेशालय
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आज से सांस्कृतिक कारवां गांव-गांव जाकर करेंगे जागरूक
संवाददाता, पटनाशिक्षा का अधिकार क्या है. यह क्यों और किसके लिए जरूरी है. इन सारी बातों की जानकारी आज से कलाकारों द्वारा दी जायेगी. गीत-संगीत और नृत्यों के जरिये अब गांव-गांव जाकर सांस्कृतिक कारवां लोगों को जागरूक करेगी. जन शिक्षा निदेशालय द्वारा महादलित, अल्पसंख्यक व अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना की शुरुआत शनिवार से […]
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