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45 फीसदी इंदिरा आवास अधूरे

पटना: दो साल में लक्ष्य के मुकाबले 45 फीसदी आवास अधूरे रह गये. दोनों वर्षो में कुल 42,420 इकाइयां बनाने का लक्ष्य मिला, मगर तमाम प्रयासों के बावजूद सिर्फ 23,315 इकाइयां ही बनायी जा सकीं. 19 हजार से अधिक आवास अधूरे हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष में लंबित आवासों को पूरा करने के साथ 20,245 नये […]

पटना: दो साल में लक्ष्य के मुकाबले 45 फीसदी आवास अधूरे रह गये. दोनों वर्षो में कुल 42,420 इकाइयां बनाने का लक्ष्य मिला, मगर तमाम प्रयासों के बावजूद सिर्फ 23,315 इकाइयां ही बनायी जा सकीं. 19 हजार से अधिक आवास अधूरे हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष में लंबित आवासों को पूरा करने के साथ 20,245 नये आवास बनाने की भी चुनौती है.

2012-13 में बने 14937 आवास
वर्ष 2011-12 के मुकाबले वर्ष 2012-13 में अच्छा काम हुआ. 2011-12 में 15481 इकाइयां बनाने का लक्ष्य था, जिसके विरुद्ध मात्र 8378 आवास ही बने. पिछले साल की लंबित इकाइयों को मिला कर इस साल कुल 12,101 इकाइयां लंबित रह गयीं. वर्ष 2012-13 में लंबित सहित कुल 26,939 आवास बनाने का लक्ष्य मिला, जिसके विरुद्ध 14937 आवास पूरे कर लिये गये. आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में पिछले साल की 16,093 इकाइयां ही लंबित बतायी जा रही हैं. वित्तीय वर्ष 2013-14 में जिला प्रशासन को 20,245 नये आवास बनाने का लक्ष्य भी मिला है.

128 करोड़ हुए खर्च
ऐसा नहीं है कि राशि की कमी होने से आवास नहीं बन सके. दोनों साल मिला कर जिले को 148.13 करोड़ की राशि आवंटित हुई, मगर उनमें से 128.79 करोड़ ही खर्च हो सके. आवास लंबित होने की मुख्य वजह थी कि हजारों लाभुकों ने पहली किस्त की राशि ले ली, मगर आवास नहीं बनाया. इस वजह से उनको दूसरी किस्त की राशि नहीं मिल सकी. ऐसे मामलों में करीब 14 हजार से अधिक लाभुकों को नोटिस भेजा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. अधिकतर मामलों में सर्टिफिकेट केस की कार्रवाई भी नहीं हुई है.

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