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जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद जदयू विधानमंडल दल की हुई बैठक, नीतीश को राजभवन से न्योता का इंतजार

पटना : जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति को दिशा देने के लिए जदयू नेता नीतीश कुमार ने जदयू विधायकों की बैठक बुलायी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार के आवास पर विधायकों की बैठक लगभग एक बजे से शुरू होगी.अगर नीतीश कुमार को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित […]

पटना : जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति को दिशा देने के लिए जदयू नेता नीतीश कुमार ने जदयू विधायकों की बैठक बुलायी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार के आवास पर विधायकों की बैठक लगभग एक बजे से शुरू होगी.अगर नीतीश कुमार को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं, तो वे चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

इस बीच जदयू विधायक दल के निर्वाचित नेता नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी के दोनों सदनों के सदस्यों की संयुक्त बैठक हुई है. विधानमंडल दल की बैठक के बाद जदयू ने कहा है कि सरकार बनाने का न्योता मिलने पर वह 24 घंटे में अपना बहुमत साबित कर देगा. वहीं, नीतीश कुमार ने कल 11 बजे तक राज्यपाल के निमंत्रण का इंतजार करने की बात कही है.

इससे पहले आज उस समयबिहार की राजनीति ने आज अचानक नयी करवट ले ली,जबमुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विश्वास मत हासिल करने के लिए विधनसभा पहुंचने के बजाय सुबह सीधे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को अपना इस्तीफा दे दिया. इसकी पुष्टि राजनीतिक स्तर पर मांझी समर्थक विधायक ज्ञानेंद्र ज्ञानु व प्रशासनिक स्तर पर राज्यपाल व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने की. राज्यपाल के प्रधान सचिव ब्रजेश महरोत्रा ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
राजनीतिक जानकारोंके अनुसार, मुख्यमंत्री ने ऐसा अपने पक्ष में बहुमत का आंकड़ा नहीं होता देख किया. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में फिलहाल 233 सदस्य हैं. ऐसे में राज्य में सरकार बचाने के लिएयाबनाने के लिए 117 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. पर, नीतीश कुमार के पक्ष में 130 विधायक मजबूती से खड़े रहे. नीतीश ने अपने समर्थक विधायकों की राष्ट्रपति के समक्ष भी पिछले दिनों परेड करायी थी.

नीतीश को जदयू के 99 विधायकों सहित राजद के 24, कांग्रेस के पांच व भाकपा के एक व एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है. जीतन राम मांझी खेमा को विश्वास था कि नीतीश कुमार खेमे से कुछ विधायक टूट कर उनके पक्ष में आयेंगे, जिनकी बदौलत व भाजपा के समर्थन से वे सदन में बहुमत साबित कर देंगे. जदयू के महज 12 विधायक ही खुले तौर पर मांझी के पक्ष में थे. बहरहाल, बदले हुए राजनीतिक माहौल में अब सबकी नजरें एक बार फिर राजभवन की ओर टिक गयी है कि वहां से क्या फैसला लिया जायेगा. वे नीतीश कुमार को सरकार बनाने आमंत्रित करेंगे या फिर कोई और कदम उठायेंगे इस पर सबकी नजरें हैं.

मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा भाजपा का गेमप्लान इस्तीफे से उजागर हो गया. उन्होंने कहा कि सदन में बहुमत का फैसला बजट सत्र से पहले हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने जो बातें कहीं थी, यह घटनाक्रम उसी को इंगित करता है. उन्होंने कहा कि बजट सत्र अच्छे से चल सके इसके लिए बहुमत का फैसला पहले हो जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि जब राज्यपाल का अभिभाषण सुनने दोनों सदन के सदस्य विधानसभा पहुंच रहे हैं, तब ऐसा हुआ है. नीतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया और क्या किया इसके बारे में औपचारिक रूप से हम प्रतिक्रिया इसकी आधिकारिक सूचना मिलने के बाद देंगे.
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय ने ने कहा कि हमलोग मजबूती से गरीब के बेटे के साथ खड़े थे. उन्होंने कहा मांझी को संख्या बल नहीं होने का अहसास होने पर ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया होगा. वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि हम न्याय के साथ रहे और हमने महादलित समुदाय के व्यक्ति का साथ नहीं छोड़ा.
इधर, जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि बिहार की यह स्क्रिप्ट नरेंद्र मोदी व अमित शाह ने लिखी थी. उन्होंने उम्मीद जतायी कि मांझी के इस्तीफे के बाद राज्यपाल नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे. इस बीच नीतीश ने राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगा है.

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