सरकार ने योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2008 में 430 करोड़ राशि उपलब्ध करा दी. लेकिन लापरवाही की वजह से राशि जस की तस पड़ी रह गयी. जब इसकी छानबीन गयी, तो पता चला कि योजना पर काम नहीं शुरू हुआ. पटना, समस्तीपुर व भोजपुर के तीन प्रखंडों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत काम होना था. योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर टैंक की व्यवस्था कर पाइप के सहारे पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाती. ग्रामीण जलापूर्ति योजना को लेकर पीएचइडी विभाग गंभीर रहती, तो पांच लाख लोगों को शुद्ध पानी मिलता.
जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण बहुद्देशीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर काम शुरू नहीं हो सका. योजना के तहत वाटर टैंक बनाया जाना था. इसके अलावा टोलों में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाना था. इसके लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा जमीन उपलब्ध कराने पर ही योजना पर काम संभव था, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण काम शुरू नहीं हुआ. मनेर में जलापूर्ति योजना के लिए नौ एकड़ जमीन की जरूरत थी. जिस पर काम होना था. समस्तीपुर के मोहनपुर में वाटर टैंक के निर्माण सहित पाइप से जलापूर्ति की व्यवस्था के लिए नौ एकड़ जमीन की आवश्यकता थी.
सबसे अधिक जमीन की आवश्यकता भोजपुर के शाहपुर के लिए उपलब्ध कराया जाना था. वहां 21 एकड़ जमीन की जरूरत है. जलापूर्ति योजना के लिए राशि होने के बाद भी जमीन के अभाव में काम नहीं हो पाया. योजना पर काम होने पर लगभग पांच लाख लोग लाभान्वित होते. विभागीय सूत्र ने बताया कि योजना के बारे में मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह को जानकारी होने पर उसे गंभीरता से लिया. छानबीन करने पर जब पता चला कि जमीन के अभाव में योजना का क्रियान्वयन ठप है, तो तीनों जिला के डीएम को बुला कर समीक्षा की गयी. डीएम ने जमीन उपलब्ध करा कर पीएचइडी विभाग को सौंपने का भरोसा दिया है. मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जमीन के अभाव में योजना का क्रियान्वयन शुरू नहीं हो सका. तीनों प्रखंडों में 430 करोड़ से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत शुद्ध पानी मुहैया कराना है.