27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जमीन के अभाव में कागजों पर अटकी जलापूर्ति योजना

पटना: छह साल से राशि उपलब्ध होने के बाद भी लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल सका. अगर समय से योजना का क्रियान्वयन हो गया रहता, तो लोगों को आर्सेनिक पानी पीने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता. बहुद्देशीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना द्वारा लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए योजना का शुभारंभ किया […]

पटना: छह साल से राशि उपलब्ध होने के बाद भी लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल सका. अगर समय से योजना का क्रियान्वयन हो गया रहता, तो लोगों को आर्सेनिक पानी पीने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता. बहुद्देशीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना द्वारा लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए योजना का शुभारंभ किया गया था.

सरकार ने योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2008 में 430 करोड़ राशि उपलब्ध करा दी. लेकिन लापरवाही की वजह से राशि जस की तस पड़ी रह गयी. जब इसकी छानबीन गयी, तो पता चला कि योजना पर काम नहीं शुरू हुआ. पटना, समस्तीपुर व भोजपुर के तीन प्रखंडों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत काम होना था. योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर टैंक की व्यवस्था कर पाइप के सहारे पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाती. ग्रामीण जलापूर्ति योजना को लेकर पीएचइडी विभाग गंभीर रहती, तो पांच लाख लोगों को शुद्ध पानी मिलता.

जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण बहुद्देशीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर काम शुरू नहीं हो सका. योजना के तहत वाटर टैंक बनाया जाना था. इसके अलावा टोलों में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाना था. इसके लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा जमीन उपलब्ध कराने पर ही योजना पर काम संभव था, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण काम शुरू नहीं हुआ. मनेर में जलापूर्ति योजना के लिए नौ एकड़ जमीन की जरूरत थी. जिस पर काम होना था. समस्तीपुर के मोहनपुर में वाटर टैंक के निर्माण सहित पाइप से जलापूर्ति की व्यवस्था के लिए नौ एकड़ जमीन की आवश्यकता थी.

सबसे अधिक जमीन की आवश्यकता भोजपुर के शाहपुर के लिए उपलब्ध कराया जाना था. वहां 21 एकड़ जमीन की जरूरत है. जलापूर्ति योजना के लिए राशि होने के बाद भी जमीन के अभाव में काम नहीं हो पाया. योजना पर काम होने पर लगभग पांच लाख लोग लाभान्वित होते. विभागीय सूत्र ने बताया कि योजना के बारे में मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह को जानकारी होने पर उसे गंभीरता से लिया. छानबीन करने पर जब पता चला कि जमीन के अभाव में योजना का क्रियान्वयन ठप है, तो तीनों जिला के डीएम को बुला कर समीक्षा की गयी. डीएम ने जमीन उपलब्ध करा कर पीएचइडी विभाग को सौंपने का भरोसा दिया है. मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जमीन के अभाव में योजना का क्रियान्वयन शुरू नहीं हो सका. तीनों प्रखंडों में 430 करोड़ से ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत शुद्ध पानी मुहैया कराना है.

तीन जिलों में होना था काम
बहुद्देशीय ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तीन जिले के तीन प्रखंड का चयन किया गया था. पटना के मनेर, समस्तीपुर के मोहनपुर व भोजपुर के शाहपुर प्रखंड के ग्रामीण इलाके के लोगों को योजना का लाभ मिलता. इन तीन प्रखंडों के लिए सरकार ने 430 करोड़ स्वीकृत किया था. पटना जिला के मनेर में जलापूर्ति के लिए 75.54 करोड़ उपलब्ध कराया गया था. इसी तरह समस्तीपुर जिले के मोहनपुर में 131 करोड़ की लागत से आर्सेनिक पानी से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर जलापूर्ति करना था. अगर जलापूर्ति योजना पर काम पूरा हो गया रहता, तो सबसे अधिक भोजपुर के शाहपुर लोगों को इसका फायदा मिलता. लगभग दो लाख लोगों को शुद्ध पानी मिलता. शाहपुर में जलापूर्ति के लिए 223.48 करोड़ स्वीकृत हुआ था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें