पटना: प्रदेश जदयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह भारतीय राजनीति का अदभुत दृश्य दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मांझी पहले दिन से ही नीतीश कुमार की जड़ खोदने में लग गये थे.
पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, मांझी प्रोपेगैंडा फैला कर अपनी विशेष छवि बनाना चाहते हैं. उनका बयान विरोधाभासी है.
मांझी पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि यह अल्पमत की सरकार है. मांझी ने विधायकों का समर्थन खो दिया है. उनको सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया है. इसके बावजूद इस सरकार ने नयी घोषणाओं की झड़ी लगा दी है, जिसका कोई मतलब नहीं है. जदयू ने मुख्यमंत्री मांझी को चौतरफा घेरते हुए पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सात फरवरी के बाद उनकी सभी घोषणाओं पर रोक लगा दी जाये.
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार ने यह महागलती जरूर की कि मांझी जैसे व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया. बिहार की गाड़ी विकास की पटरी पर आ गयी थी, लेकिन मांझी ने इसे दरकिनार कर दिया है. श्री सिंह ने कहा कि विकास के लिए रोड मैप और नजरिया चाहिए. घोषणा और राहत देने से विकास नहीं होता. मांझी ने कहा था वह नीतीश कुमार के काम को आगे बढ़ायेंगे, लेकिन वह राजनीतिक रूप से नीतीश कुमार को क्षति पहुंचा रहे हैं.
विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के लिए जदयू ने ठोंका दावा
पटना. विधानसभा में विरोधी दल के नेता के रूप में जदयू विधायक दल के नेता विजय कुमार चौधरी ने दावा ठोंका है. 20 फरवरी को जब मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपना बहुमत साबित करने विधानसभा में जायेंगे, तो जदयू विपक्ष में बैठेगा. यह जानकारी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने शुक्रवार को दी. पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि जदयू सरकार का विरोध कर रहा है और यह संख्या के आधार पर विधानसभा में सबसे बड़ा दल है. इसलिए जदयू मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में रहेगा. इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को जदयू विधायक दल के नेता विजय कुमार चौधरी की ओर से मुख्य विपक्षी दल की मान्यता के लिए पत्र दे दिया गया है.
इस संबंध में विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार की राजनीतिक स्थिति विस्मयकारी हो गयी है. किसी पार्टी के निष्कासित एक सदस्य असंबद्ध मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं और सरकार के मुखिया बने हुए हैं. उन्हें किस राजनीतिक दल का समर्थन प्राप्त है, पता नहीं. जदयू के साथ राजद, कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय विधायक भी सरकार का विरोध कर रहे हैं, जबकि भाजपा ने अब तक सरकार का समर्थन नहीं किया है. उन्होंने कहा विधानसभा की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा से ज्यादा उनके पास सदस्य हैं, इसलिए सरकार का विरोध करने पर वे मुख्य विपक्षी पार्टी के दावेदार हैं. हमें उम्मीद है कि स्पीकर हमारे साथ न्याय करेंगे.
श्रवण कुमार जारी करेंगे व्हीप,10वीं अनुसूची का होगा पालन
चौधरी ने कहा कि 20 फरवरी को विश्वास मत के दौरान जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार व्हीप जारी करेंगे. इसमें पार्टी विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के दायरे में आयेंगे और अगर पार्टी लाइन से बाहर जाकर उन्होंने काम किया, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री द्वारा विधायक राजीव रंजन को मुख्य सचेतक बनाये जाने के सवाल पर कहा कि जब मुख्यमंत्री ही असंबद्ध हैं, तो वह किसी को कैसे मुख्य सचेतक बना सकते हैं. गुप्त मतदान की भी बात हो रही है. अगर गुप्त मतदान हुआ, तो संविधान की 10वीं अनुसूची की क्या जरूरत थी. उसकी तो धज्जियां उड़ जायेंगी. जदयू के विधायक एकजुट हैं और वे जीतन राम मांझी के विरोध में वोट करेंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार, डॉ अजय आलोक, राजीव रंजन प्रसाद, निहोरा प्रसाद यादव, महासचिव डॉ नवीन आर्या मौजूद थे.
नीतीश चाहते थे कि मैं 48 घंटे में मुख्यमंत्री को हटा दूं : केशरीनाथ
बिहार में उठे राजनीतिक विवाद पर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार चाहते थे कि मैं 24 से 48 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री को हटा दूं. लेकिन, जब 20 फरवरी को विधानसभा को पहले ही आहूत किया जा चुका है, तो फिर वहीं मतदान के जरिये फैसला होना चाहिए. बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने कानपुर आये थे. सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में उनसे पूछा गया था कि जिस तरह बिहार की राजनीति चल रही है और मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को 20 फरवरी तक का समय दिया गया है, उसे देखकर नीतीश कुमार कह रहे हैं कि यह समय देना गलत है, क्योंकिइससे विधायकों की खरीद-फरोख्त बढ़ेगी.
इस पर त्रिपाठी ने कहा ‘‘ नीतीश जो कहना चाहें, कहने को स्वतंत्र हैं. लेकिन, जनता को गुमराह नहीं होना चाहिए. 20 जनवरी को ही 20 फरवरी के लिए दोनांे सदन आहूत कर लिये गये थे. जब सदन पहले से ही आहूत है, तो उसका इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा, नीतीश कुमार चाहते थे कि मैं 24 घंटे से 48 घंटे के अंदर ही मुख्यमंत्री को बदल दूं, हटा दूं, यह उचित नहीं है. मैंने कहा है 20 फरवरी को दोनांे सदनों में राज्यपाल के भाषण के तुरंत बाद विधानसभा में सबसे पहला काम यही होगा कि मुख्यमंत्री अपने पक्ष में विश्वास का प्रस्ताव प्रस्तुत करें और उस पर मतदान हो.
मैंने पूरे कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पढ़ कर निर्णय दिया. इसमें दो-तीन दिन तो लगते हैं. नौ तारीख को उन्होंने मांग की और 11 को मैंने फैसला दे दिया, दो दिनों में कौन-सी देरी हो गयी. ऐसे में राजनीतिक उतावलापन और बयानबाजी उचित नहीं है. राज्यपाल श्री त्रिपाठी से पूछा गया कि उन पर आरोप लग रहे हैं कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं, त्रिपाठी ने कहा, यह बहुत दुखद है. राजनीति का स्तर इतना गिरता जा रहा है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगांे पर भी लोग आक्षेप करने लगे हैं. यह अच्छी बात नहीं है. मैंने परामर्श लिया और सुप्रीम कोर्ट की किताबों और निर्णयों को पढ़ कर ही उचित फैसला किया.